बिहार :-2 अक्तूबर 2022 को शुरू हुई प्रशांत किशोर की पदयात्रा अबतक 2 महीने से अधिक का सफर तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा जिले में 48 दिनों तक चलने के बाद अभी पूर्वी चंपारण के गांवों में रोजाना लगभग 20 किमी की दूरी तय कर रही है। इस दौरान प्रशांत किशोर रोजाना हजारों लोगों से प्रत्यक्ष तौर पर मिलते हैं, उनसे संवाद करते हैं और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करते हैं। प्रशांत किशोर अपने भाषणों में बताते हैं कि पदयात्रा के माध्यम से वे बिहार के हर जिले में जाएंगे और लोगों की समस्यायों को समझेंगे। इस दौरान पश्चिम चंपारण की तरह वे हर जिले में लोगों से यह भी पूछेंगे कि क्या जन सुराज अभियान को एक राजनीतिक दल बनना चाहिए अथवा नहीं? जन सुराज पदयात्रा अभी तक 700 किमी से अधिक का सफर तय कर चुकी है, अभी इस यात्रा में 2800 किमी से अधिक का सफर बाकी है।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर तंबुओं से बनाए गए पदयात्रा कैंप में ही रात्रि विश्राम के लिए रुकते हैं और सुबह वहीं से अगले पड़ाव की ओर निकल जाते है। उनके साथ कैंप में सकड़ों पदयात्री भी रुकते हैं, इनमें से ज्यादातर 2 अक्तूबर से ही उनके साथ चल रहे हैं। प्रशांत किशोर की सुबह लगभग 9 बजे से शुरू हो जाती है। सुबह तैयार होकर वे 9 बजे अपने टेंट से बाहर निकल जाते हैं और यहीं से उनके दिन की शुरुआत होती है। आमतौर पर प्रशांत किशोर रोज सुबह सबसे पहले स्थानीय पत्रकारों से मिलते हैं और उनके साथ बातचीत करते हैं। पत्रकारों के साथ उनकी औपचारिक और अनौपचारिक दोनों बातचीत होती है। प्रशांत किशोर पत्रकारों से स्थानीय समस्यायों और पदयात्रा के फीडबैक के बारे पूछते नजर आते हैं। इसके बाद प्रशांत किशोर जिस प्रखंड में होते हैं, वहां के स्थानीय जन सुराज प्रखंड समिति के सदस्यों के साथ मिलते हैं और जन सुराज की सोच और आगे की रणनीति पर चर्चा करते हैं। इसके बाद लगभग 11 बजे प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों, प्रखंड समिति के सदस्यों और स्थानीय लोगों के साथ दिन के लिए प्रस्तावित पदयात्रा पर निकल जाते हैं।
प्रशांत किशोर एक दिन में लगभग 18 से 22 किमी का सफर तय करते हैं और शाम को दूसरे कैंप में पहुंच जाते हैं। इस दौरान वे दिन में करीब 6 से 7 गांवों और पंचायतों में छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करते हैं और लोगों को पदयात्रा का उद्देश्य समझाते हुए इस नए प्रयास पर उनकी राय मांगते हैं। ध्वनिमत से लोगों का आशीर्वाद मिलने के बाद सभी गांव वासी प्रशांत किशोर को अपने गांव की सीमा तक छोड़ कर आते हैं। कुछ ग्रामवासी पूरे दिन भी पदयात्रा में साथ चलते हैं। प्रशांत किशोर की सभाओं की खास बात होती है कि लोग उनसे उनके विजन के बारे में सवाल भी पूछते हैं और अपनी सभी शंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हैं। प्रशांत तसल्ली से सबके सवालों का जवाब देते हैं और उनसे और बेहतर करने के लिए सुझाव भी मांगते हैं। लगभग 2 बजे के आसपास सभी पदयात्री दिन के भोजन के लिए रुकते हैं। आमतौर पर किसी स्कूल के ग्राउंड में भोजन की व्यवस्था होती है और सभी पदयात्री यहां भोजन करते हैं और लगभग आधे घंटे विश्राम करने के बाद आगे की दूरी तय करने के लिए निकलते हैं।
पदयात्रा के दौरान जो बात सबसे ज्यादा रेखांकित करने वाली है, वो है बड़ी संख्या में महिलाओं का सड़कों पर निकल कर पदयात्रा का स्वागत करना। पदयात्रा के दौरान हर दिन स्थानीय महिलाएं प्रशांत किशोर के साथ चलती हुई नजर आती हैं। प्रशांत द्वारा लगातार उठाया जा रहा ‘पलायन’ का मुद्दा महिलाओं के दिलों को छू रहा है। साथ ही गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों से परेशान महिलाएं, प्रशांत किशोर के बयान पर ताली बजाती हुई नजर आती हैं। कई ग्रामीण महिलाएं इस पदयात्रा को बहुत ही पवित्र नजरिए से देखती हैं, और प्रशांत किशोर को आत्मीय तरीके से आशीर्वाद देती हुई नजर आती हैं। गांव के बच्चों के लिए पदयात्रा तो जैसे मेले के समान होता है। गाने, झंडे और टोपी के पीछे दौड़ते बच्चे पदयात्रा के दौरान मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं।
दिन भर की दूरी तय करने के बाद प्रशांत किशोर लगभग 8 बजे सैकड़ों पदयात्रियों के साथ पदयात्रा कैंप पहुंचते हैं और वहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्थानीय लोगों को कैंप में संबोधित करते हैं। इसके बाद सब लोग एक साथ भोजन करते हैं। भोजन के बाद प्रशांत किशोर कुछ मिलने आए लोगों से मुलाकात करते हैं और अगले दिन की तैयारी का जायजा लेकर अपने टेंट में विश्राम के लिए चले जाते हैं।
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