30-35 सालों की नाकामी के कारण बिहार पलायन का केंद्र बना, प्रशांत किशोर

जन सुराज पदयात्रा के 63वें दिन की शुरुआत पूर्वी चंपारण जिले के छौड़ादानो प्रखंड के जीतपुर गांव स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर के साथ पदयात्रा का हुजूम जीतपुर से निकल कर खैरवा पहुंचा, जहां प्रशांत किशोर समेत सभी पदयात्रियों का लोगों ने भव्य स्वागत किया व कुछ दूरी तक पदयात्रा का हिस्सा बनें। आज पदयात्रा, खैरवा से एकडरी, श्रीपुर, कुदरकट, ब्रह्मपुर, धापहर,जुआफर, गोला पकडिया से होकर बनकटवा प्रखंड के छोटा पकही में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत किशोर ने पदयात्रा के दौरान कई जगहों पर लोगों को संबोधित किया और जन सुराज की सोच के बारे में विस्तार से बताया।
पदयात्रा के दौरान खैरवा गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “कोई भी व्यक्ति देश में 400 – 500 किलोमीटर चलकर गांधी नहीं बन सकता। गांधी जैसे लोग एक – दो शताब्दी में एक बार पैदा होते हैं। मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे मैं गांधी होने या सुने जाने का हिम्मत भी रख सकता हूं। हम तो बस उनके दिखाए गए मार्गो पर चलने की कोशिश कर रहे हैं।” आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारा प्रयास है, समाज से मथकर जनता के बीच से सही लोगों को चुनकर एक बेहतर विकल्प दिया जाए ताकि आपकी समस्याओं और तकलीफों का निवारण हो सके।

प्रशांत किशोर ने एक सभा को संबोधित करते हुए बिहार की सत्ता के ‘एक राजा बाकी प्रजा’ फार्मूला पर बोलते हुए कहा, “यहां गांव में लड़कों के शरीर में कपड़े नहीं है, लोग झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं और यहां नेताओं के बड़े-बड़े पक्के मकान हैं।” आगे उन्होंने कहा कि एक नेता को जिताने से जनता नहीं जीत सकती इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार राज्य है।जनप्रतिनिधियों को बिहार की जनता से कोई डर नहीं है। लोग वोट के समय अपना मत अंततः उन्हें दे ही देते हैं। प्रजा और विकास धरा का धरा रह जाता है और नेता आगे बढ़ जाता है। बिहार के लोगों की किस्मत को कोई बदल सकता है, तो वह खुद बिहारी ही है। आप अपनी वोट की कीमत को समझिए और सही लोगों को चुन कर सत्ता की चाबी दीजिए, तब जाकर बिहार का भला होगा। वरना आज की जैसी स्थिति है आने वाले 20 साल बाद भी जस की तस रहेगी।
प्रशांत किशोर ने स्थानीय समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि आज बिहार में मोटर साइकिल, सिमेंट, छड़ की फैक्ट्री ना बन कर मजदूरों की फैक्ट्री बन रही है। 30-35 वर्षों से जो भी सरकार राज्य में है वो सिर्फ मजदूरों की फैक्ट्री लगा रही है। इससे ज़्यादा कुछ नहीं किया है। आज घर में माँ-बाप पेट काट-काट कर अपने बच्चे को जवान कर रहे हैं और 22-24 साल होते ही उसे दूसरे राज्यों में मजदूर बना कर भेज दे रहे हैं। हम आने वाले समय में ऐसा बिहार बनना चाहते हैं कि जिन लड़कों को परिवारों से दूर जाकर के बिहार से बाहर नौकरी करनी पड़ती है उनके लिए व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से यहीं रोजगार की व्यवस्था की जाए।

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