गया:- आने वालै.विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 09 सितंबर से 25 सितंबर तक चलने वाले मेला के अवसर पर विश्व के हर कोने से आने वाले तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जोर शोर से तैयारी की जा रही है मगलवार को जिला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम द्वारा रबर डैम एवं रबर डैम के समानांतर निर्माण किए जा रहे मनसरवा नाला का निरीक्षण किया गया है। जिला पदाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता रबर डैम को निर्देश दिया कि 7 अगस्त तक मनसरवा नाला का निर्माण कार्य पूर्ण करवाये। इस निरीक्षण के दौरान कार्यपालक अभियंता जल संसाधन विभाग द्वारा बताया गया कि नाला का बैरल निर्माण कार्य 2 से 3 दिनों में पूर्ण कर लिया जाएगा। देव घाट एवं मनसरवा नाला के बीच खाली जगहों को कंक्रीट से ढ़लाई के साथ-साथ टाइल्स बिछाने का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही मनसरवा नाला से नदी में उतरने के लिए सीढ़ी का भी निर्माण किया जा रहा है। प्रतिदिन तीन शिफ्ट में कार्य किया जा रहा है। जिला पदाधिकारी ने जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया कि बरसात के मौसम को ध्यान में रखते हुए तेजी से कार्य करवाने को कहा ताकि वर्षा आने पर कार्य धीमी हो जाएगी, जब तक वर्षा नही है तब तक तेजी से कार्य पूर्ण कर ले।जिला पदाधिकारी ने उपस्थित तमाम पदाधिकारियों के -साथ पंडा समाज के पुरोहितों को कहा कि इस वर्ष पितृपक्ष मेला ऐतिहासिक रूप में माना जायेगा क्योंकि इस वर्ष पितृपक्ष मेला के पहले तीर्थ यात्रियों को तर्पण हेतु रबर डैम के माध्यम से कम से कम 2 से 3 फीट पानी उपलब्ध रहेगा।जो कि पूर्व के पितृपक्ष मेला में वर्षा के अभाव में नदियों में पानी कम रहने के कारण तर्पण में थोड़ी असुविधा महसूस की जाती थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष पितृपक्ष मेला कोरोना काल के 2 साल के अंतराल के बाद आयोजित हो रही है। इसलिए तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
मेला क्षेत्र में आवारा पशुओं को देखकर जिला पदाधिकारी ने नगर निगम को सख्त हिदायत दिया कि 28 जुलाई को आवारा पशुओं को पकड़ने हेतु स्पेशल ड्राइव चलाये, पकड़े गए पशुओं को सुरक्षित गौशाला में रखें। मेला क्षेत्र में अनदीना भी तीर्थयात्री पिंडदान अथवा तर्पण का कार्य करते हैं। आवारा पशुओं के कारण यात्रियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जिला पदाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता पीएचईडी को निर्देश दिया कि देवघाट अथवा मेला क्षेत्र में यदि कहीं बिल्कुल खराब अवस्था में चापाकल हैं तो उन्हें उखाड़े और उन स्थानों पर नए चापाकल लगावे। मेला क्षेत्र में एक भी खराब चापाकल ना रहे, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें। पंडा समाज के पुरोहितों द्वारा बताया गया कि फल्गु नदी मैं लगे बोरिंग के माध्यम से ही सूर्य कुंड में पानी डाला जाता है परंतु रबड़ डैम में चल रहे कार्य के कारण बोरिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया हैजिसके कारण वर्तमान में सूर्य कुंड में पानी सप्लाई बंद है। जिला पदाधिकारी ने वरीय उप समाहर्ता अमित पटेल को निर्देश दिया कि जल संसाधन विभाग, नगर निगम एव पीएचईडी के साथ बैठक कर रबर डैम निर्माण के दौरान किन विभागों का कितना बोरिंग क्षतिग्रस्त हुआ है उसकी सूची तैयार करें जिससै उसे तेजी से नए बोरिंग कराते हुए पानी सप्लाई कराया जा सके।जिला पदाधिकारी ने नगर निगम को निर्देश दिया कि देव् घाट, गजाधर घाट एव मंडिड से देव घाट जाने वाले सभी रास्तो के टूटे टाइल्स को तेजी से 15 दिनों में मरम्मत करवाये। निरीक्षण के दौरान देवघाट पर लगने वाले 40 झरनों के पानी फल्गु नदी एव रबर डैम में गंदा पानी प्रवाहित ना हो इसके लिए मनसरवा नाला में ही गंदे पानी प्रवाहित करें। इसके बादसूर्य कुंड का निरीक्षण करते हुए सूर्य कुंड के दीवारों पर किये जा रहे रंगाई पुताई को और अच्छे से करवाने का निर्देश दिए है। सूर्य कुंड में जहां भी काई लगा हुआ है। उसे ब्लीचिंग पाउडर अथवा मशीन के माध्यम से अच्छे से साफ करवाएं ताकि फिसलन की समस्या ना रहे है।
अशोक अतिथि भवन का निरीक्षण करते हुए साफ सफाई को और बेहतर एव रंगाई पोताई गुणवत्ता से करवाने का निर्देश दिए गया है।आगे कार्यपालक अभियंता जल संसाधन विभाग, गया अजय कुमार सिंह द्वारा बताया गया की मनसरा वाला को ड्रेन बैरल के माध्यम् बड़ डैम के डाउनस्ट्रीम में प्रवाहित किया जाना है। इससे रबर डैम द्वारा निर्मित रिजॉर्वियर का जल स्वच्छ रह पाएगा। नदी तल के नीचे के प्रवाह का शीट पायल के माध्यम से अवरुद्ध किया गया है। सिट पाइल को नदी तल के नीचे रोक लेवल तक उपलब्ध किया गया है।डेरीन बेरेल से ही घाट का निर्माण मोनोलोथीक रूप से कराया जा रहा है। घाट का पहला step लगाए गए शीट पायल के ऊपर है। इससे बैरल एवं घाट हाइड्रॉलिक फेल्योर के विरुद्ध सुरक्षित हो जाएगा। पितृपक्ष के पहले के तीन घाट, जो क्रमशः 100 मी0, 105 मीटर तथा 45 फीट लम्बाई में बनाए जा रहे हैं.जिससे घाट की कुल लम्बाई 250 मीटर होगी। इस प्रकार निर्माणाधीन संरचना की आयु 100 वर्षों से अधिक होगी।
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