माघी पूर्णिमा के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं ने कमल ,करेह, कोशी नदी के तिरवेणी संगम घाट पर कमला स्नान की।

राजेश कुमार रौशन / समस्तीपुर ।
बिथान :-थाना क्षेत्र के जगमोहरा की पावन भूमि कमला मेला घाट पर माघी पूर्णिमा के मौके पर हजारों की संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई ।माघी पूर्णिमा के दिन कमल स्नान से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।साथ ही मन की शांति मिलती है।कमला ,करेह,कोशी तिवेणी संगम स्नान को मोक्ष वाहनी भी कहते हैं।तिवेणी स्नान से सभी प्रकार के रोग एवं पापों से दोषो मुक्ति मिलती है।कुमारी कन्या मन पसंद   वर की मनोकामना के लिए कमला स्नान करती  है।वही महिलाओं सन्तान प्राप्ति के लिए कमला स्नान करती है।

मेला का प्रारम्भ इस प्रकार सुरू हुआ।बड़े बुजुर्गों का कहना है की  लग भग 100 वर्ष पूर्व  तिलकेश्वर गढ़ राजा वेन का राज्य के अधीनस्थ था ।राजा वेन यहाँ का राजा हुआ करते थे।राजा वेन आधी से अधिक उम्र बीत जाने की उपरांत भी उन्हें सन्तान की प्राप्ति नहीं हुईं।राजा वेन सन्तान एवं अपने उत्तराधिकारी को लेकर अत्यधिक चिंतित रहते थे।

ततपश्चात किसी ऋषि ने माघी पूर्णिमा के नियमानुसार कमला स्नान करने की आदेश दिए, स्नोनो उपरांत कमला की पावन जल से महादेव को प्रत्येक दिन दोनो पति पत्नी को जला अविसेक करने की बात कही ।ततपश्चात रानी को संतान की प्राप्ति हुई।

उसी दिन से कमला मेला स्नान परम्परा की सुरूआत हुई।राजा वेन ने सन्तान प्राप्ति की यादगार में बाबा तिलकेश्वर नाथ एवं बाबा कुशेश्वर नाथ की मंदिर की निर्माण किये।आज भी लोगों की ज़ुबान पर है ।कुछ लोकोक्ति जैसे मंदिर निर्माण में, रुपया बाबू राजा वरण सिंह (वेन)नाम खागा हजारी ।खागा हजारी के देख रेख में मंदिर का निर्माण हुआ।मेला में लकड़ी एवं लोहा का हाथ से बनाया हुआ समान खूब भाता है।मेला समस्त ग्रामीणों की सहयोगी से लगती है।मेला की विधि व्यवस्था समस्त ग्राम वासी नजर रहती है।

 

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