टीईटी-एसटीइटी शिक्षकों ने जिला मुख्यालय पर पदयात्रा निकाल सरकार के द्वारा शिक्षकों की हकमारी पर किया विरोध |

के.के. शर्मा रिपोर्टर ।
समस्तीपुर : टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा तदनुरूप सेवाशर्त के लिए सूबे के शिक्षक लगातार संघर्षरत हैं सरकार द्वारा नई सेवा-शर्त लाने पर शिक्षको में काफी रोष व्याप्त है, शिक्षक अब बिहार की शिक्षा व्यवस्था व शिक्षकों के साथ धोखा को जनता के बीच लाना शुरू कर दिया है इसी आलोक मे राज्यव्यापि आंदोलन के तहत टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट समस्तीपुर ने स्थानिय पटेल मैदान से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक पदयात्रा निकाला |

पदयात्रा कार्यक्रम पटेल मैदान से निकलकर कचहरी, गोलंबर, समाहरणालय होते हूए अनुमंडलाधिकारी समस्तीपुर के प्रांगण स्थित गांधी मूर्ति के पास समाप्त हुआ, पदयात्रा का नेतृत्व जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साहू, जिलामहासचिव जयप्रकाश भगत एवं राज्यकार्यकारीणि सदस्य अविनाश कुमार संयुक्त रूप से कर रहे थे |पदयात्रा में कंधे पर तिरंगा उठाये शिक्षकों ने जुलूस की शक्ल में सड़क पर चलते हुए अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां हाथों में ले रखी थी | तख्तियों पर सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देना होगा, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझाव को लागु करो, टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षकों की हकमारी बंद करो, धोखा और वंचना का जवाब देंगे, बदला लो बदल डालो, आदि नारे लिखे हुए थे |

 

टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिलाध्यक्ष अध्यक्ष अशोक कुमार साहू ने बताया कि स्थानीय निकायों के जरिये कमतर वेतन और शोषणप्रद शर्तों पर शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया को समाप्त करने और उसकी जगह समुचित सरकार के द्वारा केंद्रीकृत नियुक्ति के लिए शिक्षक लागातार आंदोलनरत रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझावों को ताक पर रखते हुए शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश के तहत टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को उनके वाजिब सेवाशर्त से वंचित किया है. केंद्र सरकार द्वारा लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए शिक्षकों का शोषण किया हैं।

अनुकंपा के नाम पर आश्रितों के लिए अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही. नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए सरकार द्वारा लाया गया बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त में स्पष्ट बंधुआकरण दिखता है. सेवाशर्त में  जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं एवं विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है वहीं म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है. अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को तीन सौ दिनों का मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को महज 120 दिनों का दिया गया है. हकमारी के खिलाफ सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों में सरकार के प्रति तीखा आक्रोश है. शिक्षक चुप नही बैठनेवाले हैं. शिक्षकों का आक्रोश सरकार की विदाई का संकेत है. बदला लो बदल डालो के नारे के साथ शिक्षक आनेवाले दिनों में सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देंगे।

संगठन के  जिला महासचिव जयप्रकाश भगत, सचिव विकास कुमार और जिलाकोषाध्यक्ष पवन कुमार शर्मा ने कहा कि सेवाशर्त में ग्रेच्युटी बीमा एवं मेडिकल आदि सुविधाओं का तो जिक्र तक नही है. प्रोन्नति एवं पदौन्नति जैसे मसले पर शिक्षा का अधिकार और एनसीटीई के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर टीइटी शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है. डीए में कटौती करते हुए 01 अप्रैल 2021 से 15% वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है. जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीइटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है. यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी उल्लंघन कर रही है. पदयात्रा के जरिये यह स्पष्ट है कि सूबे के शिक्षक बंधुआगिरी से मुक्ति के लिए “बदला लो – बदल डालो” के नारा के साथ आने वाले चुनाव में लोकतांत्रिक तरीके से जबाब देंगे | पदयात्रा कार्यक्रम में जिलाउपाध्यक्ष विरदेलाल यादव व धर्मवीर कुमार पवन कुमार शर्मा, पंकज वर्मा, इमदाद अली,, अस्मित झा, नीरज रंजन, प्रशांत प्रियदर्शनी, संजीव कुमार, निकिता कुमारी, फातिमा अंजुम, केशव कुमार, विकास विशाल, अजीत कुमार, मिथलेश कुमार, संतोष कुमार , सहित सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल थे।

 

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