सावन का पवित्र महीना 6 जुलाई से शुरू हो रही है। वही इस सावन में पांच सोमवारी के साथ-साथ 3 अगस्त को समाप्ति है। इस कोरोना काल में शिव भक्तों को शिवालयों में जाकर जल नहीं चढ़ा पाएंगे। मालूम हो कि इसको लेकर शिव भक्तों को काफी नाराजगी महसूस हो रही है। क्योंकि अपने बाबा औघड़ दानी शिव शंकर को जल नहीं चढ़ाने से मंदिरों को सावन आने से पहले ही सज धज कर दुल्हन की तरह तैयार हो जाते हैं। इस बार ऐसा कुछ नहीं है । वहीं शिवालायों के मंदिरों में विरान पड़ा नजर दिखाई पड़ता है। वही बेलदौर के बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर से प्रत्येक सोमवार 10, हजार डाक कावड़िया जल भरने के लिए उत्तरवाहिनी गंगा अगवानी से जल भर कर 70 किलोमीटर पांव पैदल चलकर बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर में जल चढ़ाते थे। इस बार भक्तों के मनोबल को करोना ने चकनाचूर कर दिया। वहीं बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर में वटवृक्ष 1356 ई वीं मैं करीब 3 फुट का था, बट वृक्ष करीब 700 वर्ष पुराना है जो अभी तक इसे भी पदाधिकारी एवं विश्व धरोहर संरक्षण का ध्यान नहीं पहुंचा है, जो उस धरोहर को संरक्षित करने के लिए प्रशासन के जिन्नोद्वार में आस तोड़ रहा है । वही बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी गुरुप्रसाद ने बताया कि इस दौरान को संरक्षित करने के लिए कोई भी पदाधिकारी अभी तक नहीं आए हैं।
वहीं इस करोना काल में शिव भक्तों का मनोबल चूर हो गया। जिला पदाधिकारी सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए शिव भक्तों को बाबा शिव शंकर का आराधना पूजा करने अनुमति दे तो शिव भक्त उत्तरवाहिनी गंगा अगवानी से जल भर का बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर में जल अर्पित करेंगे। भगवान शिवजी को सावन मास बहुत प्रिय है जो गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होने वाले सावन के महीने की शुरुआत इस वर्ष छः जुलाई से हुई। श्रद्धालु इस पूरे महीने शिवजी के निमित्त व्रत और प्रतिदिन उनकी विशेष पूजा आराधना करते हैं। सावन महीना मैं शिव भक्तों को जल चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण अच्छत फल की प्राप्ति होती है। आज से देश के कोने कोने से सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस कोरोना में सभी शिव भक्तों को भोले बाबा के दर्शन नहीं होंगे। सावन महीने में पूजा अर्चना के लिए ज्योर्तिलिंगों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी संख्या देखने को मिलती है। बाबा फुलेश्वर नाथ मंदिर अभी तक में दुल्हन की तरह सज जाता था, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार से लेकर पदाधिकारी तक डाक बम चलने में भी परेशानी हो सकती है।
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