पेड़ पर बर्बाद हो रहा पका लीची : राम विनोद महतो, नरेंद्र कुमार, शंकर महतो, संजय सिंह आदि लीची उत्पादक किसान बताते हैं कि अभी लीची के सप्लाई का पिक समय रहना चाहिए। बारिश होने के बाद अब गर्मी हाई वोल्टेज में है। यह लीची के पकने का आदर्श समय है। पेड़ पर देखिए लाल लाल लीची रस से फटी जा रही है लेकिन एक भी व्यापारी खरीदने यहां तक नहीं पहुंच रहे हैं।
ट्रांसपोर्ट वाले कहते हैं अभी वाहन चलाना रिस्क का काम है। लीची सड़ने भी लगी है। दो-तीन दिन में पूरी तरह सर कर बर्बाद हो जाएगी। स्थानीय व्यापारी भी कहते हैं कि कोरोना के कारण लीची खरीदने से परहेज कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि बारिश ओलावृष्टि एवं आंधी के कारण आधा फल पहले ही टूट कर गिर गया था। बचा फल लॉकडाउन की भेंट चढ़ रहा है। कोलकाता, दिल्ली, नोएडा, झारखंड आदि जगहों के व्यापारी कहते हैं कि इसको ले जाएंगे तो कहां बेचेंगे, सभी मुख्य बाजार बंद हैं। प्रोसेसिंग यूनिट नहीं रहने के कारण भी किसानों को परेशानी हो रही है। कोल्ड स्टोर में इतनी क्षमता नहीं है कि लीची को रखा जाए। किसानों के अनुसार करोड़ों रुपए की नुकसान से लीची उत्पादक किसान काफी परेशान हैं। इन लोगों ने सरकार से लीची उत्पादकों को मुआवजा देने की मांग की है।
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