बलवंत चौधरी
(बेगूसराय) : दूसरे राज्यों से गांव लौटने वाले प्रवासी कामगारों समेत तमाम लोगों को प्रशासन द्वारा बनाए गए क्वारिंटाइन सेंटर में भर्ती करवाया जा रहा है। जो, कोरोना संक्रमण से बचने हेतु अति आवश्यक भी है।
लेकिन सरकार द्वारा पर्याप्त फंड देने के बावजूद स्थानीय स्तर पर गड़बड़ी के कारण भर्ती लोगों को अपार कष्ट का सामना करना पड़ रहा है। सेंटर में हो रहे कष्ट से संबंधित दर्जनों वीडियो एवं फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
जिसमें क्वारिंटाइन सेंटर के चापाकल के अगल-बगल बज बजाती गंदगी, कमरे के तब रहे फर्श पर बिछाने को मिली एक पतली दरी उनके कष्ट को बता रहा है।
क्वारिंटाइन सेंटर छौड़ाही में भर्ती अशोक यादव का टिक टॉक वीडियो तो दो घंटे में ही काफी वायरल हो गया है।
जिसके रूम में भर्ती सभी लोगों का नाम और तारीख को भी लिख रखा है। गुजारे गए दिन पर टिक लगा हुआ है। लोग एक दूसरे से दूरी बनाकर बैठे हुए हैं। तब रहे फर्श पर एक पतली दरी बिछाने को मिली है। मच्छरदानी पंखा कुछ भी नहीं है। एक तो भीषण गर्मी पड़ रही है दिन में भी चैन नहीं है।
रात में झुंड का झुंड मच्छर हमला करता है। जिस कारण नींद भी नहीं आ पाती है। दोनों टाइम भात दाल दिया जाता है।
सुबह में सुखा चूड़ा मिला था। एक चापाकल पर 125 आदमी नहाते धोते हैं। गौरव , सुमन द्वारा वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि जिस चापाकल का पानी पीने के काम में आता है उसके बगल में गंदगी पसरी है। शौचालय भी चापाकल के ठीक बगल में है।
दाल में सिर्फ पानी रहता है। एक बार थाली में मिल गया तो फिर दोबारा मांगने पर भी नहीं मिलता है। आधे पेट खा कर गुजारा करते हैं बच्चों पर भी दया नहीं की जाती है।इन लोगों का कहना है कि अधिकारियों से मोबाइल पर शिकायत की गई लेकिन फिर भी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है। भर्ती लोगों का कहना था कि कष्ट तो काफी हो रहा है लेकिन स्वजनों को संक्रमण ना हो जाए इसलिए यह कष्ट सहना भी मंजूर है।
क्वारिंटाइन सेंटर पर सरकार इतना पैसा खर्च कर रही है लेकिन मॉनिटरिंग नहीं रहने के कारण हमलोगों को इतना कष्ट हो रहा है। इन लोगों का कहना था कि हम लोग हल्ला हंगामा करने वाले आदमी नहीं हैं।
दिल्ली मुंबई कोलकाता से पैदल चले आए उस उस कष्ट के सामने यह तकलीफ कुछ भी नहीं है। वीडियो जारी कर सिर्फ प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
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