(बेगूसराय): प्रखंड के मक्का उत्पादक किसान इन दिनों नीलगाय और जंगली सूअर के उत्पात से काफी परेशान हैं नीलगाय और सूअरों ने दर्जनों एकड़ मक्का फसल को तहस-नहस कर दिया है । बुधवार को भी छौड़ाही के सुरेश महतो के मक्का फसल बर्बाद कर दिया गया। आगात मक्का की फसल इसके मुख्य निशाने पर है ।
रात के अंधेरे मे चौर- बहियार में फसल बर्बाद करने के बाद इसका रुख गांव की ओर हो मक्का फसल पर टूट पड़ता है| सुरक्षा के उपाय सूअर के आक्रमक रुख के आगे बेअसर साबित हो रही है ।
छौड़ाही के सुरेश महतो, भोजा के दिनेश चौधरी,हेमंत कुमार, सोगारथ पंडित,मालपूर के संतोष यादव,नारायणपीपर के शिवशंकर सिंह आदि दर्जनों किसानो ने बताया कि यहां के जमीन में बंपर उपज होने के कारण इस सीजन में गेहूं के बराबर रकबे मे मक्का की खेती प्रत्येक किसान हरेक वर्ष करते है|लेकिन विगत 5 वर्षों की तरह ही इस बार भी आधी मक्का फसल बर्बाद हो गया है ।
किसान बताते हैं कि एक झुंड में 10 से 15 तक नीलगाय जंगली सूअर रहता है।प्रखंड के प्रभावित इलाकों को मिला दिया जाए तो लगभग 70 से 80 झुंड जंगली सूअर और नीलगाय छौड़ाही, गढ़पुरा, खोदाबंदपुर क्षेत्र में सक्रिय हैं जो मध्यरात्रि से तीन बजे सुबह तक मांद से बाहर आ तैयार हो रहे मक्का के बाली को खाने से पहले तीन-चार कट्ठा में लगे हजारों पौधों को तोड़कर तहस-नहस कर देती है |कुछ दाना खा कर शेष छोड़ देती है |जो खिज्जा रहने के कारण किसी काम का नहीं रहता है ।एक खेत में आने के बाद पूरे खेत की फसल को सूअर बर्बाद कर रहे हैं ।किसानों का कहना है कि सुअर और निलगाय से बचाव हेतु खेत के चारों तरफ कटीला तार भी लगाए लेकिन उसको भी तोड़ दिया |
* ऐसे करें बचाव *
कृषि वैज्ञानिक राम कृपालु सिंह कहते हैं की परंपरागत तरीके से ही सूअर और नीलगाय से मक्का को बचा सकते हैं। बोले-गोबर को पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें। शाम और सुबह में एक सप्ताह तक तीन चार बार टीन- ढोल आदि को खेत के चारों तरफ बजाते रहें। वहीं पटाखा फोड़ने से भी वह मक्का के खेत से दूर रहता है |
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