कोरोना महामारी ने गांधी के दृष्टिकोण को पुर्नलोकन कर ग्रामीण स्वराज्य के सपने को लागू करने की प्रेरणा दिया है ताकि मजदूर वर्ग के लोगों को आजीविका के लिए देशाटन नहीं करना पड़े। इंडियन सोसायटी ऑफ गांधियन स्टडीज के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रोफेसर दयानिधि राय ने कहा कि कोरोना महामारी अभिजात वर्ग की देन है। खेतों खलिहानों में काम करने वाले लोगों के बीच कोविड नहीं है। ग्रामीण आधारित उद्योगों की स्थापना की जरूरत है। इंडियन सोसायटी ऑफ गांधियन स्टडीज के जर्नल के संपादक डाॅ विनय कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्थित महाविद्यालय द्वारा लगातार पांचवी राष्ट्रीय बेव व्याख्यान आयोजित करना गांधी के सपने के ग्रामीण स्वराज्य की अवधारणा को चरितार्थ करता है।
कार्यक्रम में कई राज्यों के सौ से ज्यादा प्रतिनिधि उपस्थिति थे। कई लोगों ने सवाल पूछे जिसमे वकील राय, दीपक कुमार, प्रियंका कुमारी, कुमारी वंदना, प्रिया कुमारी, अश्विनी कृति, रूना आनंद, डाॅ लक्ष्मण यादव डाॅ मनीता कुमारी, डाॅ बबिता जैन,मोनालिजा, सुमन कटारिया प्रमुख थीं। जमशेदपुर महिला काॅलेज की प्राचार्या डाॅ पूर्णिमा कुमार, डाॅ एल के भी डी कॉलेज, ताजपुर, समस्तीपुर की प्राचार्या डाॅ फरजाना मैम, आईएसजीएस के कार्यकारिणी सदस्य डाॅ राजबली पासवान,डाॅ बिपिन मेहता, डाॅ हरिश्चन्द्र यादव, डाॅ राहिल रजा, डाॅ वकरूद्दीन आदि अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता और स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ घनश्याम राय ने की। कार्यक्रम का संचालना डॉ अफशाॅ बानों, प्रश्नोतरी का संचालन प्रोफेसर स्वाति राय एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ प्रयुत्मा ने किया।
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