भगवान भास्कर देव के मंदिर में आराधना करने से होती हैं संकट दूर, समस्तीपुर जिला का इकलौता हैं भगवान भास्कर देव का मंदिर।

बिहार / समस्तीपुर :- सनातन संस्कृति और परंपराओं में कई रोचक उपलब्धिया प्राप्त होता है।लेकिन क्या आपको पता है भगवान भास्कर देव(सूर्य) का मंदिर बिहार कहा हैं ।जानते है सूर्य मंदिर गया और औरंगाबाद के अलावा समस्तीपुर जिले के रोसरा बूढ़ी गंडक नदी के तटबंध पर स्थित भगवान भास्कर देव सूर्य मंदिर हैं।

* आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें हैं।
अधिवक्ता दिनेश कुमार महतो ने बताया कि वर्ष 2006 में नेपाल घूमने के लिए गए थे वहां उन्होंने देखा भगवान सूर्य देव मंदिर तो उन्होंने रोसरा आने के बाद नदी स्नान करने के दौरान सूरज सहनी, रामखेलावन शर्मा, सोनेलाल सहनी इत्यादि लोगों के बीच सूर्य देव मंदिर निर्माण करने की बात कहीं
वर्ष 2007 में सूरज सहनी व रामखेलावन शर्मा ने मंदिर निर्माण करने को लेकर जागरूक हो गए और एक-एक ईंट को इकट्ठा करने लगे, और कुछ चंदा इकट्ठा करने में सर्वप्रथम अधिवक्ता दिनेश कुमार ₹2100 का
छ्ड़ दिए सोनेलाल सहनी 1100 सहयोग किये। धीरे-धीरे मंदिर निर्माण की कार्य प्रारंभ हुआ वर्ष 2011 में मंदिर बनकर तैयार हुआ सभी के सहयोग से भगवान भास्कर देव की प्रतिमा को बनाने के लिए कैलाश पंडित को कहें उन्होंने सबसे आकर्षित भगवान भास्कर देव का प्रतिमा तैयार किया । रामखेलावन शर्मा व सूरज सहनी दोनों काफी बुजुर्ग थे उन दोनों की अवस्था ठीक नहीं होनो के कारण वर्ष 2011 में मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा बड़ी धूमधाम से किया साथ ही मंदिर के सेवक के तौर पर नन्द लाल सहनी को नियुक्त कर दिया गया। उस समय से आज तक नन्द लाल सहनी आज तक मंदिर में निस्वार्थ पूजा अर्चना करते आ रहे हैं।

मंदिर निर्माण कार्य से लेकर प्राण प्रतिष्ठा में सहियोग करने वाले लोगों का भी एक अलग कहानी है।
रामखेलावन शर्मा जिन्होंने मन्दिर निर्माण में पूरी सारधा से दिन रात मेहनत किया उन्हें उस मेहनत की फल भगवान भास्कर देव ने दिया ।
जानकारों ने बताया कि भूषण शर्मा पिता रामखेलावन शर्मा के घर में पुत्र की प्राप्ति हुई। अधिवक्ता दिनेश कुमार महतो के कारोबार में वृद्धि हुई मंदिर की सेवा के नंदलाल सहनी जब से भगवान भास्कर देव के मंदिर की सेवा करना शुरू किया उस दिन से उनकी व्यापार में उन्नति हुई। भास्कर देव के आराधना से काया क्ल्प
होता है रोसड़ा शहर के एक रोगी पुरे शरीर से लचार थे तो किसी ने भगवन भास्कर देव के दरबार में जाने को कहा उन्होने गया और हाजरी लगाया मथा टेका उससे उपरांत स्वस्थ हो गया और आज सुखमय जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं

भगवान भास्कर देव मंदिर समस्तीपुर जिला की इकलौती मंदिर है जो आज बुढ़ी गंडक नदी के तटबंध पर स्थापित है। पूरब दिशा की और मंदिर बना हुआ है।उस मंदिर में भगवान भास्कर अपने रथ पर सवार मुद्रा में है।

इस जगह कार्तिक मास के महीने में छठ महापूजा के शुभ अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं व चैत महीने में भी यहां काफी धूमधाम से पूजा अर्चना होते आ रहा आज यह एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है यह दूरदराज से लोग भगवान भास्कर देव की दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी इच्छा अनुसार मनत मांगते हैं और उनकी मनोकामना को भगवान भास्कर देव पूरा करते हैं।

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