धीरज गुप्ता की रिपोर्ट
गया में शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर ने गया अतिथी निवास में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में किसानों और मजदूरों की दशा दिशा बहुत ही गड़बड़ है बिहार का सभी खनिज पदार्थ झारखंड को चला गया, तब से बिहार में किसानों की हालत बहुत बदतर है लेकिन बिहार के महागठबंधन सरकार में बिहार के लोगों को उनकी अपनी स्थिति पर छोड़ दिया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री जो यात्रा पर निकले हैं वह आम जनता के पास ना जाकर एक जगह कहीं जाते हैं फिर उनकी समाधान यात्रा खत्म हो जाती है। समाधान यात्रा पर बोलते हुए आगे कहा कि समाधान यात्रा के तहत बक्सर गये थे लेकिन कुछ ही दुरी पर चौसा मे विगत पाच महीने से तिन चार मागो को लेकर किसान धरना पर बैठे हुए हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री वहा नही आते , अगर वे किसानों की समस्या का समाधान कर देते तो समाधान यात्रा सार्थक होती, लेकिन इस यात्रा से कोई मतलब नहीं है, नीतीश कुमार से बिहार का समाधान निकलने वाला नही,ये अपनी ही पार्टी का समाधान निकाल ले यही बहुत है पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे के मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर विवेक ठाकुर ने कहा कि जब चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो जिस व्यक्ति के अंदर प्रतिभा हो वह भी मुख्यमंत्री बन सकता है। आगे कहा कि लेकिन इस सरकार में गरीबी और किसानों और आम जनता को सुनने वाला इस सरकार में कोई नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा बिहार के किसानों और गरीबों के जहां बजट में उचित स्थान दिया गया है वही बिहार सरकार के रहने से यहां के किसानों का सुधार नहीं हो पा रहा है । इस बार बजट में बिहार के किसानों के लिए 13500 करोड रुपए दिया गया है। यहां के किसान भारत सरकार द्वारा किसान समृद्धि योजना के तहत बिना बेचो लिए के ₹6000 प्रत्येक साल पा रहे हैं वहीं करोना काल से ही 800000 परिवारों को मुफ्त अनाज केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है ।आजादी के बाद जहां अन्य राज्यों के किसानों और मजदूरों की दशा सुधरी है वही बिहार में बिगड़ा है ।झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में किसानों और खेती ही बच गया था इसे विकसित कर देश के मानचित्र पर बिहार को लाया जा सकता था। लेकिन यहां की सरकार कुछ है मदद नहीं कर रही है बिहार के लोग मेहनती होते हैं यहां के लोग अन्य राज्यों के में पलायन कर वहां के किसानो कि आधारभूत संरचना के विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन हमारे राज्य में रह रहे किसान मजबूर हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं ।आज जरूरत है इसकी दशा और दिशा सुधारने की जिसे भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आधुनिक कृषि और अनुसंधान के माध्यम से विकसित बनाने का प्रयास करें बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है लेकिन पिछड़ा राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,आदि राज्यों अपने राज्य के मामले में विकसित कर चुके हैं ।
उन्होंने आगे बताया कि स्वामी सहजानंद सरस्वती जी किसानों की स्थिति सुधारने के लिए आंदोलन किया था जिसके परिणाम स्वरूप पूरे देश के किसानों की स्थिति में सुधार हुआ है हुआ था वह हमारे देश के महान कृषि क्षेत्र में थे लेकिन बिहार सरकार मनोदशा के कारण बिहार में कहीं भी सरकार के स्तर पर उनकी मूर्ति तक स्थापित नहीं हुई है बिहार में जयप्रकाश नारायण जी के अलावा हजारों सुनानी हुए लेकिन पति इतिहासकारों के कारण उन्हें इतिहास में कहीं स्थान नहीं मिला आज आजादी के उत्सव पर केंद्र सरकार उन सभी व्यक्तियों को सम्मान ना पहचान देने की काम कर रही है आगे उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की डायरी में कृषि के महान योद्धा सरस्वती जयंती के का भी नाम हटा दिया गया है वही पत्रकारों के सवाल पर सुधाकर सिंह के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मैं इसका जवाब पूरी तरह से नहीं दे सकता हूं। और आगे खेल के बारे में पत्रकारों ने राज सभा सांसद से पूछा तो उन्होंने कहा कि खेल भारत सरकार खेल युवा कार्यक्रम हर राज्य में करारी है इसमें बिहार सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।मेने पत्र लिखकर कयी बार कहा लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रही है।
आगे राज्य सभा सांसद ने आगमी 25 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के बिहार पटना के आगमन को देते हुए किसान मजदूर समागम के तहत स्वामी सहजानंद सरस्वती जी की जयंती मनाई जाएगी हार के किसानों को उचित सम्मान दिया जाएगा।
इस प्रेस वार्ता में गया जिला अध्यक्ष धनराज शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष जैनेन्द्र कुमार, पूर्व विधायक सह प्रवक्ता मनोज शर्मा, धीरेन्द्र सिंह, कुमार पूर्व सांसद हरी मांझी, पूर्व सांसद रामजी मांझी , किडजी के निदेशक हरि पन्ना उर्फ पप्पू जी , कौशल शर्मा,हरे राम सिंह, संतोष ठाकुर, पूर्व जिला कोषाध्यक्ष, जिला प्रवक्ता योगेश कुमार,क्षितिज मोहन सिंह, संतोष सिंह, शेरघाटी नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष आदि काफी संख्या में लोग उपस्थित थे
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