बिहार में जज साहब ही नहीं है सुरक्षित ,आम नागरिक को किया होगा।

सुधांशु कुमार सिंह की रिपोर्ट।

मधुबनी झंझारपुर के जिस जज साहब से पुलिस ने मारपीट है उनका फैसला सब सुनिएगा तो जज साहब से प्यार हो जाएगा। इनके क्यूट फैसलों की वजह से हाई कोर्ट ने इनका पावर सीज कर लिया था। इनका फैसला सब सुनिए। कपड़ा धुलाई की दुकान चलाने वाले एक आदमी को एक मामले में जमानत इस शर्त पर दी थी की वो पूरे गांव के महिलाओं का कपड़ा 6 महीना तक धोएगा और आयरन करेगा और इसका सत्यापन चिट्ठी मुखिया अथवा किसी अधिकारी से लिखवाएगा। एक दूसरे मामले में उन्होंने जमानत इस शर्त पर दी थी की आरोपी गांव के 5 दलित बच्चों को 3 महीने तक मुफ्त ट्यूशन पढ़ाएगा। एक अन्य मामले में आरोपी को 5 दलित बच्चों को आधा आधा लीटर दूध पहुंचाने की शर्त पर जमानत दी थी।

जुलाई में किसी महिला अपराध संबंधित केस में पुलिस के रवैया के खिलाफ उन्होंने एसपी को पुनः पुलिस ट्रेनिंग की जरूरत की बात कही थी। अविनाश कुमार  पिछली पोस्टिंग पटना थी। किसी मामले में गलत इन्वेस्टिगेशन के कारण पटना के  एसपी और डीएम पर जुर्माना लगा दिया था।
जज से आज दो थानेदार ने केबिन में घुसकर  मारपीट की और बंदूक तान दिया।  वकीलो ने कोर्ट में ताला जड़ दिया दोनों आरोपी पुलिस को चेम्बर में ही बंद कर रखा था   डीएसपी और एसपी के आने के बाद मामला को शांत करने का प्रयास  वकीलों का मांग था कि तत्काल दोनों आरोपी पुलिस पर मामला दर्ज कर स्पीड ट्राई चलाकर सजा दिया जाए

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