बिहार में जाति व धर्म के नाम पर बंधुआ मजदूर बनकर वोट देते हैं लोग,प्रशांत किशोर

समस्तीपुर: देश में बिहार को छोड़कर कोई ऐसा राज्य नहीं है, जहां लोग बंधुआ मजदूर बनकर वोट दे रहे हैं। यहां पर लोग जाति के नाम पर बंधुआ मजदूर बन गए, तो कई धर्म के नाम पर बंधुआ मजदूर बन गया। ऐसे में आपके बच्चों का भविष्य भला कैसे सुधरेगा। ये कहना है जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर का। प्रशांत किशोर ने गुरुवार को आगे कहा कि बिहार के लोग बिजनेस और रोजगार इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि यहां 100 में 80 लोग आज भी ऐसे हैं, जो प्रतिदिन 100 रुपए भी नहीं कमा पाते। इस महंगाई के जमाने में अगर आप 100 रुपए भी नहीं कमा पाते हैं, तो खाइएगा क्या और बचाइएगा क्या। दुनिया के विद्वानों ने बताया है कि गरीबी से निकलने के सिर्फ तीन ही रास्ते हैं, पहला पढ़ाई, दूसरी जमीन, तीसरा पूंजी।

जिले के रोसड़ा प्रखंड में जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जमीन से लोगों का जीवन नहीं सुधरा है, इसका कारण यह है कि यहां समाजवाद के नाम पर राजनीति हुई है। लेकिन, 70 से 75 सालों में यहां भूमि सुधार लागू नहीं किया गया। बिहार में 100 में 60 आदमी के पास जमीन है ही नहीं। वहीं, देश में 100 में 38 लोगों के पास जमीन नहीं है। बिहार में जिन 40 लोगों के पास जमीन है, उनमें करीब 35 लोगों के पास दो बीघा से कम जमीन है। बिहार में ज्यादातर लोग अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए खेती करते हैं, कमाने के लिए खेती नहीं करते हैं। बिहार में खेती करके आमदनी करने वाले लोगों की संख्या 3 से 4 फीसदी है। बाकी लोग खेती करके या तो पेट भर रहे हैं या दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं। जब तक बिहार में बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था न हो, भूमि सुधार लागू न हो और घर-घर रोजगार की व्यवस्था न की जाए तबतक विकास संभव नहीं है। 

बता दें कि प्रशांत किशोर 251 दिनों से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। गुरुवार को वह समस्तीपुर के रोसड़ा प्रखंड के छह गांवों थतिया, चकथात पश्चिम, गोविंदपुर, चकथात पूर्वी, हनुमान नगर, मोहिउद्दीन नगर के ग्रामीणों से मिले। इस दौरान इन्होंने 6 किलोमीटर तक पदयात्रा करके ग्रामीणों को वोट की ताकत का एहसास दिलाया।

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