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जिले के हर पंचायत के विकास का जारी करेंगे ब्लूप्रिंट: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के 48वें दिन देर शाम प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा पूर्वी चंपारण जिले पहुंची। इस मौके पर आज सुबह यानी 19 नवंबर को प्रशांत किशोर ने पूर्वी चंपारण के पहाड़पुर प्रखंड स्थित हाई स्कूल प्रांगण में मीडिया से बात की। पदयात्रा कैंप में प्रशांत किशोर ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि लगभग 550 किमी से अधिक पैदल चलकर बीते शाम 18 नवंबर को पूर्वी चंपारण जिले में प्रवेश किया और लगभग अगले एक महीने इसी जिले में पदयात्रा करेंगे। 2 अक्तूबर को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू हुई प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा जिले के 140 से अधिक पंचायतों और 350 से अधिक गांवों से गुजरते हुए पूर्वी चंपारण पहुंची है। जन सुराज पदयात्रा के उद्देश्य पर विस्तार से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पूर्वी चंपारण के लिए एक माह में 400-450 किलोमीटर का रूट बनाया गया है। पूर्वी चंपारण में भी यात्रा अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों से गुजरते हुए लगभग एक महीने चलेगी। इस दौरान सभी पंचायतों की समस्याओं का संकलन करेंगे और उसके समाधान के साथ पंचायत आधारित विकास का ब्लूप्रिंट भी जारी करेंगे। प्रयास है कि समाज में मथ कर सही लोगों को समाज के बीच से लाकर एक मंच पर खड़ा किया जाए। सभी लोगों की सहमति होगी तो दल भी बनाया जाएगा और बिहार के बेहतर भविष्य के लिए चुनाव भी लड़ा जाएगा। आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि आज पहाड़पुर के लोगों से हम मिलेंगे और कल से चलना प्रारंभ करेंगे। कल हमलोग पहाड़पुर के 8-9 पंचायतों से गुजरते हुए अरेराज पहुंचेंग और फिर अरेराज से हरसिद्धि जाएंगे।

पूर्वी चंपारण के पहाड़पुर प्रखंड के मखनिया गांव स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को गांधी मैदान में घोषणा की थी कि वह 10 लाख सरकारी नौकरी बिहार में देंगे। तेजस्वी यादव ने कहा था पहली कैबिनेट की बैठक में ही 10 लाख नौकरियां बिहार की युवाओं को दे दी जाएंगी। लेकिन अब लगता है जैसे तेजस्वी यादव के कलम की स्याही सूख गई है। आक्रमक अंदाज में प्रशांत किशोर ने कहा कि यदि बिहार के युवाओं को 10 लाख नौकरियां देने का वादा महज चुनावी जुमला हुआ तो बिहार के युवाओं के साथ नीतीश कुमार का घेराव करेगे। शिक्षकों के लिए समान वेतन के मुद्दे पर प्रशांत किशोर ने कहा, “2015 की महागठबंधन सरकार के दौरान सुशील मोदी ने विपक्ष में रहते हुए घोषणा की थी कि समान काम के लिए समान वेतन लागू होना चाहिए। शिक्षकों ने झांसे में आकर भाजपा का समर्थन कर दिया था। 2017 में सुशील मोदी डिप्टी सीएम बने, उनके पास मौका था यह काम करने का। 2020 में शिक्षकों को फिर ठगा गया, इस बार तेजस्वी यादव ने कह दिया कि मैं आऊंगा तो समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाएगा। अब जब शिक्षक मेरे पास आते हैं तो मैं उनसे सवाल करता हूं कि अब तो तेजस्वी यादव की ही सरकार है, उन्हीं के दल के व्यक्ति शिक्षा मंत्री हैं। आप इसे अब लागू करवाइए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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