पूर्वी चंपारण:-जन सुराज पदयात्रा के 47वें दिन प्रशांत किशोर ने पश्चिम चंपारण के मझौलिया पंचायत स्थित बिनवालिया हाई स्कूल प्रांगण में मीडिया से बात की। प्रशांत किशोर ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि जन सुराज पदयात्रा पश्चिम चंपारण जिले में अंतिम पड़ाव पर है, कल यानी 18 नवंबर को पदयात्रा मझौलिया से चलकर बैथनिया भनाचक, जौकटिया, मझरिया शेख होते हुए पूर्वी चंपारण के पहाड़पुर प्रखंड के उत्तरी नूनिया पंचायत में प्रवेश करेगी और वहीं रात्रि विश्राम करेगी। पश्चिम चंपारण में प्रशांत किशोर पदयात्रा के माध्यम से अबतक 550 किमी से अधिक चलकर 320 से अधिक गांवों में गए हैं। प्रशांत किशोर ने बताया कि इन पूरे 47 दिनों में 1 दिन भी गाड़ी पर नहीं बैठे हैं और जितनी ईमानदारी और शुद्धता से पदयात्रा कर सकते हैं, उससे अधिक करने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार में ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार में शिक्षा व्यवस्था एकदम ध्वस्त है। पदयात्रा के दौरान शायद ही कोई स्कूल मुझे ऐसा देखने को मिला जहां एक विद्यालय की 3 मूलभूत चीजें शिक्षक, छात्र और बिल्डिंग तीनों एक साथ मौजूद हो। जहां बिल्डिंग और छात्र हैं वहां शिक्षक नहीं है। कहीं बिल्डिंग और शिक्षक है तो छात्र नहीं है। हैरानी तब होती है जब पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 17 साल के शासनकाल में भी शिक्षा की हालत ध्वस्त हैं। एक लाइन में कहें तो, बिहार के स्कूलों में खिचड़ी बंट रही है और कॉलेजों में डिग्रियां बंट रही हैं।”
प्रशांत किशोर ने विकसित बिहार को लेकर अपनी प्राथमिकता साझा करते हुए बताया कि उनका प्रयास है कि देश के 10 अग्रणी राज्यों में बिहार शामिल हो। विकास के ज्यादातर मानकों पर अभी बिहार 27वें या 28वें स्थान पर है। 50 के दशक में बिहार की गिनती देश के अग्रणी राज्यों में होती थी। उन्होंने आगे कहा कि बिहार के हर पंचायत, गांव और नगर क्षेत्र के स्तर पर योजना बनाई जाए। साढ़े 8 हजार ग्राम पंचायत और 2 हजार नगर पंचायत की विकास की योजनाओं का खाका हम तैयार कर रहे हैं। हर पंचायत की समस्याओं को हम संकलित कर रहे हैं, ताकि हर पंचायत विकास के मापदंडों पर अग्रणी राज्य में शामिल हो सके। पश्चिम चंपारण जिले में जन सुराज पदयात्रा की सफलता का विवरण देते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि पश्चिम चंपारण जिले में करीब 5600 लोग हमने पदयात्रा के माध्यम से चिन्हित किए हैं, जो जन सुराज अभियान के संस्थापक सदस्य बने हैं। यह संख्या थोड़ी कम होने की भी संभावना है, क्योंकि जिस प्रक्रिया हम लोगों को चिन्हित कर रहें हैं, यदि उसमें उनके खिलाफ समाज में या सर्वे में कुछ नकारात्मक आती है तो उन्हें सदस्यता से निष्कासित भी किया जा सकता है। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि भविष्य में लोग इस पदयात्रा से जुड़ते ही रहेंगे तो संख्या स्वाभाविक तौर पर बढ़ेगी ही। अगर भविष्य में जन सुराज का दल बनता है तो पश्चिमी चंपारण से तकरीबन 5500 से 6000 लोग संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल होंगे।