पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से 2 अक्तूबर को शुरू हुई जन सुराज पदयात्रा अब जिले में चर्चा का विषय बनता जा रहा है। समाज के सभी वर्गों के लोग प्रशांत किशोर द्वारा शुरू की गई इस मुहिम से जुड़ रहे हैं और इस पदयात्रा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पैदल भी चल रहे हैं। व्यस्कों, बुजर्गों, महिलाओं के अलावा भारी संख्या में युवाओं का एक बड़ा वर्ग भी जन सुराज के इस अभियान से जुड़ रहा है। इसी क्रम में पश्चिम चंपारण के सैकड़ों युवाओं ने अपने-अपने पंचायतों में ‘पीके यूथ क्लब’ की स्थापना की है और ये सिलसिला निरंतर जारी है।
पीके यूथ क्लब’ के माध्यम से पढ़ाई करने वाले या कामकाजी युवा एक ऐसा मंच तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके माध्यम से युवाओं का समग्र विकास हो सके और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। गांधीजी के आदर्शों को लेकर चल रहे जन सुराज अभियान से जुड़ने वाले युवा आज प्रशांत किशोर के इस बात से प्रभावित हैं कि केवल राजा का बेटा ही राजा नहीं बनेगा, सामान्य परिवार से आने वाले युवाओं के लिए भी सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ने का सामान अवसर होना चाहिए। प्रशांत किशोर अपने भाषणों में बताते हैं कि सही लोग ढूंढने निकले हैं, स्थानीय युवा जो भविष्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छाशक्ति रखते हैं, वे इसे एक अवसर के तौर पर भी देख रहे हैं। उन्हें इस बात पर यकीन है कि बिहार की राजनीति पर केवल 1250 से 1500 परिवारों का कब्जा है और इसके बाहर किसी को मौका नहीं मिलता। जन सुराज के उद्देश्यों से प्रभावित युवा प्रशांत किशोर के विजन और मिशन के साथ चलने को प्रतिबद्ध हैं।
इस कड़ी में अबतक पश्चिम चंपारण जिले के 181 पंचायतों में ‘पीके यूथ क्लब’ की शुरुआत की जा चुकी है। इसके अलावा 58 पंचायतों में ‘पीके यूथ क्लब’ को शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। यूथ क्लब से जुड़े युवा अपने अपने पंचायत में लोगों की समस्यायों को सुनने समझने का प्रयास करते हैं और अपने स्तर से समस्याओं का समाधान करने की भी कोशिश करते हैं। यूथ क्लब से जुड़े युवा गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने में भी मदद करते हैं। क्लब के माध्यम से युवाओं के कौशल विकास, होनहार छात्रों को स्कॉलरशिप, बेहतर सामाजिक रचना में उनके योगदान, उनका आत्मविश्वास बढ़ाने जैसे उपरोक्त कार्यक्रमों के माध्यम से पीके यूथ क्लब का गठन किया जा रहा है। जिससे रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का विकास हो।
क्लब के युवा बताते हैं कि ‘पीके यूथ क्लब’ के माध्यम से खेल-कूद, शारीरिक गतिविधियों का समय-समय पर आयोजन करवाया जाएगा। क्लब से जुड़े युवा योग, ड्रामा, वाद-विवाद, संगीत कला, सांस्कृतिक गतिविधियां, रीडिंग भाषण, निबंध लेखन, पत्र लेखन, पोस्टर निर्माण, साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देंगे और बेहतर बिहार के लिए अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करेंगे।
पंचायतों में ‘पीके यूथ क्लब’ का गठन पंचायत स्तर के युवा करते हैं। युवा अपने बीच से ही एक समन्वयक को आपसी सहमति से चुन लेते हैं। समन्वयक का दायित्व होता है कि क्लब की सक्रियता को बनाए रखना और इसके उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास करना। प्रत्येक क्लब के सदस्यों की संख्या 25 होती है, जिसमें छात्र-छात्राओं की संख्या 10-10 होती है। दोनों क्लब में सदस्यों का चयन नोडल समन्वयक के मार्गदर्शन में किया जाता है।
पीके यूथ क्लब’ से जुड़े युवा महात्मा गांधी के विचारों के आधार पर 7 मूल सिद्धांतों पर चलने का प्रयास करते हैं
1. यूथ क्लब भारत के संविधान से प्रेरणा लेकर राष्ट्रपति महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए सामाजिक बदलाव का प्रयास करेगा
2. यूथ क्लब सही सोच वाले लोगों को एक साथ लाकर सामूहिक प्रयास के जरिए स्थानीय हालातों में सुधार की कोशिश करेगा।
3.यूथ क्लब युवाओं के लिए एक ऐसा मंच बनेगा जिसके जरिए राजनीति में राज्य के युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ सके।
4. यूथ क्लब बुनियादी मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैल आएगा ताकि शिक्षा स्वास्थ्य जैसे जरूरी विषयों के प्रति सरकार को जगाया जा सके ।
5. यूथ क्लब समाज और सरकार के बीच एक पुल की तरह काम करेगा जिससे लोगों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं की सही जानकारी मिल सके।
6. यूथ क्लब जन सुराज के विचार को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश करेगा ताकि प्रदेश के लोग इस मुहिम को जान सकें।
7. यूथ क्लब सामूहिक प्रयास से बिहार को भारत के शीर्ष राज्यों की श्रेणी में पहुंचाने का संकल्प लेता है।
पीके यूथ क्लब’ के माध्यम से 18 से 40 वर्ष के युवा इससे जुड़ रहे हैं और जन सुराज अभियान को सफल बनाने में अपना कंधा लगा रहे हैं। ज्यादातर जुड़ने वाले युवाओं में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं हैं। ये बिहार की वर्तमान दुर्दशा से प्रभावित हैं और चाहते हैं कि बिहार का भविष्य बेहतर हो और उनका राज्य भी देश के सबसे विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो। उनकी इच्छा है कि शिक्षा और रोजगार के लिए उन्हें मजबूरी में बिहार से बाहर नहीं जाना पड़े। उन्हें जन सुराज की मुहिम से एक आशा और आकांक्षा है कि आने वाले कुछ सालों में एक सुनहरे बिहार का निर्माण होगा और इस कार्य में वो अपना मजबूत कंधा लगाकर अपने हिस्से का योगदान देना चाहते हैं।
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