रौशन कुमार की रिपोर्ट।
भाजपा गया जिला के द्वारा आज जनादेश के साथ विशवासघात को लेकर एकदिवसीय महाधरना गया गांधी मैदान गेट नंबर 5 के नजदीक भाजपा जिला अध्यक्ष धनराज शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई. उक्त महाधरना को संबोधित करते हुए भाजपा नेता पूर्व मंत्री सह नगर विधायक डा प्रेम कुमार ने कहा कि भाजपा अपने विचार धारा की राजनीति करती है. बिहार में जब जंगल राज का आगाज हुआ था तब भाजपा ने बिहार के जनता को सुरक्षित रखने के लिए नीतीश कुमार को कम सीट जीतने के वावजूद बिहार का मुख्यमंत्री एक बार नहीं बल्कि छ: बार मुख्यमंत्री बनाने का काम किया.
भाजपा अपने सभी प्रकार के कार्यो को स्थगित कर बिहार की जनता के हित में काम करने के लिए नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनाये रखा.
लेकिन नीतीश कुमार के मन में छल कपट हमेशा बना रहा, 2010 में एनडीए को अपार सफलता बिहार की जनता ने दिया और जब भारत के प्रधानमंत्री के रुप में नरेंद्र भाई मोदी की चर्चा होने लगी तो तब नीतीश कुमार को पेट में दर्द होना शुरू हुआ और 2013 में नरेंद्र भाई मोदी को पटना में भोज का निमंत्रण देकर वापस ले लिया. उसके बाद भाजपा का साथ छोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ सरकार बनायी.2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र भाई मोदी के खिलाफ 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें लोकसभा की दो सीट जीत सके और 32 सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाये. नीतीश कुमार के घमंड को बिहार की जनता 2014 में ही चकनाचूर कर दिया था. 2015 के चुनाव में महागठबंधन बनाकर पुनः जनता को बरगलाने में कामयाब हुए. 2017 में महागठबंधन को छोड़ते हुए कहा कि भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार चलाना बहुत ही मुश्किल है और पुनः भाजपा के साथ सरकार बना लिया. उस वक्त भी बिहार में क्राइम का ग्राफ काफी बढ़ा हुआ था. बिहार की जनता के हित को सर्वोपरि मानते हुए नीतीश कुमार के साथ भाजपा ने सरकार बनाई . 2019 का लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में 39 सीटों पर जीत मिली, 2020 का विधान सभा चुनाव में भी एनडीए को बिहार की जनता ने बहुमत दिया. 2020 का चुनाव में नीतीश कुमार अड़ियल रवैये के कारण एनडीए का एक महत्वपूर्ण घटक लोजपा को एनडीए से बाहर होना पड़ा. जिसके कारण नीतीश कुमार को कम सीट प्राप्त हो सका . 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अपार सफलता के साथ नरेंद्र भाई मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर नीतीश कुमार के पेट में दर्द होना शुरू हो गया था इसलिए लोजपा को बाहर करने की कोशिश किया गया. अब जब 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है तो नीतीश कुमार के कलेजे पर सांप लोट रहा है कि तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी अतिपिछड़ा का बेटा कैसे होगा. नीतीश कुमार को समक्ष ना चाहिए कि 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप था तब राजद छोड़कर भाजपा के साथ आये थे. और अब जब तेजस्वी यादव भ्रष्टाचार में चार्ज सीटेट हैं तब गठबंधन कर सरकार बना रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश को मालूम है कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार में चार्ज सीटेट वह जेल अवश्य जायेगें. क्या यही नीतीश कुमार की नैतिकता है.? क्या यह जनादेश का अपमान नहीं है? जब सत्ता विरोधी हवा नीतीश कुमार के खिलाफ होता है तब पाला बदलकर एंटीइनकैबेसी से बचने का काम करते हैं. अगर हिम्मत है तो जदयू अकेले चुनाव लड़ कर दिखाये.
धरना में वजीरगंज विधायक विरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद हरी मांक्षी, पूर्व विधायक राजीव नंदन दांगी, श्याम देव पासवान, पूर्व प्रदेश मंत्री गनौरी मांक्षी,विजय कुमार मांक्षी, जेड खान, डा अनुज कुमार, प्रशांत कुमार, अभिषेक कुमार, वंदना कुमारी, क्षितिज मोहन सिंह, अनिल कुमार सिंह, विजय कुमार, धर्मेन्द्र यादव, देवानन्द पासवान, कंचन सिन्हा, युगेश कुमार, महेश शर्मा, कुमार सत्यशील, रंजीत कुमार सिंह, मुन्ना सिंह, राजदेव पंडित
मंच का संचालन भाजपा जिला महामंत्री गोपाल यादव ने किया.