विनोद शर्मा की रिपोर्ट।
किसान मोहम्मद बदरुल, जीवछ कुमार यादव का कहना था कि पंचायत के मुखिया से जब हम किसान ताला खोलने की गुहार लगाते हैं तो वह बताते हैं कि पूर्व मुखिया के पास चाबी है। पूर्व मुखिया कुछ बोलते नहीं हैं। जबकि प्रशासन कहती है कि सब नलकूप चालू है पटवन हो रहा है। इन सब के चक्कर में 10 एकड़ से ज्यादा धान सूख गया है। बाकी फसल भी पानी बिन मुरझा रही है। किसानों का कहना था कि पहले 30 रुपए प्रति कट्ठा शुल्क देकर सरकारी नलकूप से आसानी से पट बंद कर लेते थे। अब हम लोग ढाई 250 रुपए प्रति घंटे खरीद कर खेत में पानी नहीं पटाने में सक्षम नहीं है। इसलिए किसानी भेष में ही अपना दर्द लेकर नलकूप के सरकारी आपरेटर का घेराव कर रहे हैं। नलकूप आपरेटर महोदय ताला तोड़ने पर केस मुकदमा होने की बात का नलकूप चालू करने से इंकार कर रहे हैं।इस संदर्भ में सावत पंचायत के मुखिया काजल देवी का कहना है कि पंचायत के किसी भी नलकूप का चाबी या प्रभार पूर्व मुखिया द्वारा अभी तक नहीं मिला है। इसलिए इस संदर्भ में कुछ कहना सही नहीं होगा।
15 पंचायत और अकेले हैं नलकूप आपरेटर : इस संदर्भ में सरकारी नलकूप आपरेटर हरि नारायण साह का कहना है कि छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के 10 एवं बखरी प्रखंड क्षेत्र के पांच पंचायत के 55 सरकारी नलकूप के हम अकेले आपरेटर हैं। हमारी पोस्टिंग छौड़ाही के एक इस सरकारी नलकूप पर है। हमारी जिम्मेदारी निगरानी कर रिपोर्ट जिला को देने की है। चुनाव के बाद पूर्व मुखिया और जी वर्तमान मुखिया जी मे प्रभार की समस्या है। उन्होंने बताया कि 15 पंचायत के नलकूप को देखरेख का जिम्मा दिया गया है लेकिन पंचायत या विभाग द्वारा कोई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। आपरेटर ने बताया कि 15 पंचायत के अधिकांश नलकूप की यही स्थिति है। अब ताला तोड़ेंगे तो केस मुकदमा का झंझट कौन लेगा। स्थिति के संदर्भ में जिला को रिपोर्ट भेज दिए हैं।
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