आईवीएफ एक परिवार को खुशहाल रखने की अच्छी तकिनीक डाo सुनिता शर्मा
Santosh Raj
धीरज गुप्ता की रिपोर्ट
गया विश्व आई.वी.एफ. दिवस क्या हैं इन्फर्टिलिटी होने के आम कारण और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी ? इंफर्टिलिटी काफी आम समस्या है। इस समस्या से पूरी दुनिया के लगभग 15% कपल प्रभावित है। भारत जैसे विकासशील देश में यह समस्या और भी ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में चार कपल्स में से एक कपल बच्चा पैदा करने में परेशानी का सामना करते हैं। बच्चे न पैदा कर पाना इमोशनल और सामजिक कलंक मान
जाता है। इस कारण बहुत सारे परिवार टूटते हैं या एक पत्नी के रहते दुसरी, तीसरी शादी करते हैं। ऐसे कपल अपनी इस समस्या के बारे में खुलकर चर्चा करने से हिचकते हैं जिसकी वजह से उनकी इस बीमारी के इलाज में बाधा आती है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इनफर्टिलिटी की बीमारी को दूर करने के लिए इसका ट्रीटमेंट खोजने का अथक प्रयास करते रहे हैं। इस मामले सबसे बड़ी सफलता 25 जुलाई, 1978 को मिली जब इंग्लैंड में लुईस ब्राउन
का जन्म हुआ। ब्राउन दुनिया में सक्सेसफुल आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद पैदा होने वाली पहली बची है।
यह सब डॉ पैट्रिक स्टेप्टो, रॉबर्ट एडवर्ड्स और उनकी टीम की सालों की कोशिश के बाद संभव हो पाया। इसके ठीक 67 दिन बाद दुनियाँ की दूसरी और भारत की पहली आई.वी.एफ. बेबी दुर्गा का जन्म कोलकाता में हुआ। इन 44 सालों में 10 मिलियन से अधिक बच्चों का जन्म विभिन्न “असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक” के माध्यम से
हुआ है। हर साल 25 जुलाई को रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में हुए महान अविष्कार को याद करने के लिए इसे ‘वर्ल्ड आईवीऍफ़ डे’ के रूप में मनाया जाता है। इन्फर्टिलिटी होने के आम कारण क्या हैं?महिलाओं को हमेशा से इन्फर्टिलिटी का बाहक माना जाता रहा है, हालांकि यह सिर्फ एक मिथक है। आज के समय में पुरुष भी उतना हीं इन्फर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार होता है जितना की महिला। इन्फर्टिलिटी के सामान्य कारण महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, ओबुलेटरी डिसफंक्शन, एंडोमेट्रियोसिस आदि जैसे मेडिकल कारण शामिल होते हैं और पुरुषों में इन्फर्टिलिटी होने का कारण शुक्राणु की खराब क्वॉन्टिटी या क्वॉलिटी होती है। इन्फर्टिलिटी का दूसरा महत्वपूर्ण कारण लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं हैं जिसमें ज्यादा उम्र में शादी करना,
डिलीवरी को पोस्टपोन करना, स्ट्रेस, अनहेल्दी फूड, शराब और तंबाकू का सेवन शामिल होता हैं।
असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) का क्या मतलब होता है?एआरटी में सभी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट शामिल होते हैं जिसमें एग्स और भ्रूण दोनों को हैंडल किया जाता है। सामान्य तौर पर, एआरटी प्रोसेस में एक महिला के अंडाशय से अंडों को निकालना, उन्हें लेबोरेटरी में शुक्राणु के साथ संयोजित करना और उन्हें महिला के शरीर में वापस करना शामिल होता है। इसमें मुख्य रूप से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईबीएफ), आईसीएसआई, गैमेट्स या भ्रूण का क्रोप्रेजर्वेशन (अंडे या शुक्राणु), PGT (प्रीइमप्लांटेशन
जेनेटिक टेस्टिंग) शामिल होता है। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से कई कपल इलाज न होने वाली इन्फर्टिलिटी से उबरकर बच्चे को जन्म दिया है।असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्रोलॉजी के प्रकार इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) शुक्राणुओं और अंडों का मिलना प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक होता है, हालांकि कई ऐसे कारण हैं जो शरीर में निषेचन की इस प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। जिससे फर्टिलिटी की समस्या उभरती है। IVF अमिस्टेड रिप्रोडक्टिव की एक विधि है जिसमें महिला के एग्स को पुरुष के स्पर्म के साथ शरीर के बाहर लेबोरेटरी डिश में फर्टिलाइज्ड किया जाता है। इसीलिए इसे ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ भी कहा जाता है। इन फर्टिलाइज्ड
एम्स (भ्रूण) में एक या एक से अधिक एग्स को फिर महिला के गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है
ताकि वे गर्भाशय की परत में चिपक सके औरो कर सके। यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली एआरटी प्रोसेस में से एक है और इसका उपयोग फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करके इन्फर्टिलिटी को दूर करने के लिए किया जाता है। ऐसे ही और भी कई टेकनिक होती हैं जिससे कपल को बच्चा पैदा करने के लिए लायक बनाया जाता है। इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन ICSI
यह असिस्टेड रिप्रोडक्शन की स्पेशल टेनिक है जो मेल फैक्टर इन्फर्टिलिटी में सबसे ज्यादा यूजफुल होता है जहां स्पर्म काउंट या क्वॉलिटी बहुत खराब होती है। एक स्पर्म को स्पेशल सुई से एग्स में इंजेक्ट की जाती है। इसलिए अंडे को फर्टिलाइज़ करने के लिए लाखों शुक्राणुओं की जरूरत को ख़त्म करती है और प्रेग्रेसी बहुत कम स्पर्म कॉउंट में भी सफल हो जाती है।गैमेटेस / भ्रूण के क्रायोप्रीज़र्वेशन
कायोप्रीज़र्वेशन या फ्रीजिंग एक ऐसी तकनीक होती है जिसमें भ्रूण, अंडे और शुक्राणु लिक्विड नाइट्रोजन में लंबे समय तक – 196 डिग्री सेंटीग्रेड पर जमाये जाते हैं। एक बार जमे हुए, भ्रूण को लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है और लगभग 20 सालों से फ्रोजेन किये गए भ्रूणों से भी बच्चे पैदा किये गए हैं। क्रायोप्रीज़र्वेशन की एक और बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अंडे या शुक्राणु को संरक्षित करना होता है।
यह आमतौर पर सबसे ज्यादा युवा महिलाओं और पुरुषों में किया जाता है।प्रीमप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग पीजीटीयह तकनीक उन कपल्स के लिए वरदान है जो जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं या इसके कैरियर होते हैं।इंफर्टिलिटी कब माना जाय शादी के बाद पति पत्नी एक साल तक बिना प्रोटेक्सन के साथ रह रहे हों और 30 वर्ष से अधिक उम्र के लिए 6 महीने साथ रह रहे हों और बच्चा नहीं हो रहा है तो इंफर्टिलिटी माना जाता है। इसके लिए स्त्री एवं प्रजनन रोग विशेसज्ञ या आई.बी.एफ. सेन्टर से संपर्क करना चाहिए। वहाँ पहुँचने पर कपल का परीक्षण, ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, नली की जांच, शुक्राणु के जांच के उपरांत मेडिकल ट्रीटमेंट, आई यू.आई.आई.वी.एफ. या इक्सी की सलाह दी जाती है। आई.बी.एफ. तकनीक आमतौर पर खर्चीला माना जाता है और माना जाता है की सिर्फ बड़े शहरों में हीं होता है पर हमने मिलकर 2014 में जीवन रेखा आई बी.एफ. की शुरुआत गया में की और अक्टूबर 2014 में ही हमें पहली सफलता मिली है । जिसका जन्म जुलाई 2015 में हुआ और हमसब ने मिलकर उसका नाम विष्णु रखा। तब से अभी तक 500 से अधिक सफलता मिल चुकी है। हमारा प्रयास है उच्चतम तकनीक कम खर्च में गया एवं मगध के लोगों को उपलब्ध करा सके। हमारा संकल्प किलकारी गूँजे हर घर आँगन।