नि:शुल्क सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग के लिए आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ी, अब 7 जुलाई तक करें आवेदन

धीरज  गुप्ता की रिपोर्ट।
गया :- दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) ने विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) के छात्रों के लिए मुफ्त सिविल सेवा परीक्षा (संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित) कोचिंग के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को 30 जून से बढाकर 07 जुलाई 2022 कर दिया है |  सीयूएसबी के जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि उम्मीदवारों के हितों को ध्यान में रखकर माननीय कुलपति प्रो० कामेश्वर नाथ सिंह के अनुमोदन पर कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह ने आवेदन के लिए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है |

डॉ. अंबेडकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” (डीएसीई) के अंतर्गत संचालित होने वाले कोचिंग के नोडल अधिकारी डॉ. राठी कांत कुंभार ने बताया कि ऑनलाइन एवं ऑफलाइन आवेदन और अन्य दिशानिर्देशों के बारे में विवरण सीयूएसबी की आधिकारिक वेबसाइट www.cusb.ac.in  और https://www.cusb.ac.in/dace  पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम अपडेट के लिए समय-समय पर आधिकारिक वेबसाइट को लगातार अंतराल पर देखते रहें है।

शैक्षिक योग्यता / पात्रता: इच्छुक उम्मीदवार के पास भारत के केंद्रीय या राज्य विधानमंडल के अधिनियम द्वारा निगमित किसी भी विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए और 36 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उम्मीदवार अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित होना चाहिए। उम्मीदवार को भारत सरकार, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों या किसी भी फंडिंग एजेंसी द्वारा किसी भी अन्य योजना से कोई मौद्रिक लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए | चयन प्रक्रिया: प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवारों के मेरिट सूची के आधार पर 100 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। प्रवेश परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग के सिविल सर्विसेज परीक्षा के प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पाठ्यक्रम के अनुसार होगी। प्रवेश परीक्षा में 100 बहुविकल्पीय आधारित प्रश्न होंगे।

रजिस्ट्रार कर्नल राजीव कुमार सिंह ने कहा सीयूएसबी बिहार राज्य का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने “डॉ. अंबेडकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” (डीएसीई) की स्थापना के लिए चयन किया है | उन्होंने कहा कि सीयूएसबी में संचालित होने होने वाली मुफ्त कोचिंग विशेष रूप से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए एक उपहार की तरह है और हम ये आशा करते हैं कि आने वाले समय में इससे कई कृतिमान स्थापित होंगे |

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