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जिले की 30000 एकड़ जमीन है जलप्लावित। बर्बाद हो गई गन्ना फसल, किसानों ने हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन से लगाई जल निकासी की गुहार। हसनपुर चीनी मिल ने बेगूसराय जिला प्रशासन को भेजा पत्र, खेती और मिल बचाने का निवेदन।

विनोद शर्मा  की रिपोर्ट
छौड़ाही (बेगूसराय) :  जिले का मंझौल एवं बखरी अनुमंडल धान, गेहूं, मक्का एवं गन्ना के बंपर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा है। परंतु, यहां के तमाम खेती योग जमीन में अतिवृष्टी के कारण विगत तीन वर्ष से जमीन जलप्लावित रह जा रही है। ऊपरी जमीन में किसी तरह खेती बारी तो हो रही है। लेकिन 30 हजार एकड़ जमीन अभी भी जलप्लावित है। खास बात यह कि जलप्लावित जमीन के जोतेदार अधिकांश किसान 10 कट्ठा से दो एकड़ जमीन के मालिक हैं। इसके अलावा इन किसानों के पास खेती योग्य दूसरी जमीन भी नहीं है। लगभग 10 हजार से ज्यादा किसान कर्ज लेकर इन जमीन में खेती करते हैं।
जलजमाव से प्रभावित दर्जनों किसानों ने गुरुवार को हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। छौड़ाही प्रखंड प्रमुख सतीश कुशवाहा, जिला पार्षद जयप्रकाश उर्फ बमबम चौधरी, मुखिया विजय कुमार सिंह, रामप्रीत ठाकुर, पंकज दास, किसान कैलाश सिंह, धर्मेंद्र सिंह, रामनरेश यादव आदि ने हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन से मुलाकात कर जलजमाव वाले तमाम जमीन से जल निकासी प्रारंभ करने की मांग रखी।

विनोद शर्मा  की रिपोर्ट
छौड़ाही (बेगूसराय) :  जिले का मंझौल एवं बखरी अनुमंडल धान, गेहूं, मक्का एवं गन्ना के बंपर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा है। परंतु, यहां के तमाम खेती योग जमीन में अतिवृष्टी के कारण विगत तीन वर्ष से जमीन जलप्लावित रह जा रही है। ऊपरी जमीन में किसी तरह खेती बारी तो हो रही है। लेकिन 30 हजार एकड़ जमीन अभी भी जलप्लावित है। खास बात यह कि जलप्लावित जमीन के जोतेदार अधिकांश किसान 10 कट्ठा से दो एकड़ जमीन के मालिक हैं। इसके अलावा इन किसानों के पास खेती योग्य दूसरी जमीन भी नहीं है। लगभग 10 हजार से ज्यादा किसान कर्ज लेकर इन जमीन में खेती करते हैं।
जलजमाव से प्रभावित दर्जनों किसानों ने गुरुवार को हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। छौड़ाही प्रखंड प्रमुख सतीश कुशवाहा, जिला पार्षद जयप्रकाश उर्फ बमबम चौधरी, मुखिया विजय कुमार सिंह, रामप्रीत ठाकुर, पंकज दास, किसान कैलाश सिंह, धर्मेंद्र सिंह, रामनरेश यादव आदि ने हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन से मुलाकात कर जलजमाव वाले तमाम जमीन से जल निकासी प्रारंभ करने की मांग रखी।

जिला पार्षद पुष्पा देवी, जयप्रकाश उर्फ बमबम चौधरी ने चीनी मिल प्रबंधन को बताया कि पिछले दिनों जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति दिशा के बैठक मे जिला परिषद अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र पासवान, जिला पदाधिकारी महोदय, सांसद,  विधायक गण एवं जिला विकास समन्वय और अनुश्रवण समिति के सदस्य गण के समक्ष लिखित प्रस्ताव दिया गया था कि छौड़ाही अंचल अंतर्गत समस्तीपुर जिले की सीमा से लगा सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। छौड़ाही अंचल सबसे नीचे का इलाका रहने के कारण सालों- साल बाढ़ की विभीषिका व खेती योग्य जमीन में जलजमाव की समस्या यहां के विकास की सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।

यहां की भौगोलिक बनावट के चलते दूसरे जिले के रास्ते आने वाली बाढ़ से समय अंतराल में क्षेत्र की सड़क, पुल-पुलिया व अन्य आधारभूत संरचनाएं ध्वस्त, क्षतिग्रस्त होते रहती है। यही स्थिति मंझौल एवं बखरी अनुमंडल क्षेत्र के की है। यहां का 75 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि में बाढ़ व बारिश के चलते जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। क्षेत्र के चौर बहियारो से जल निकासी की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण इन कृषि योग्य भूमि में किसान खेती कर पाने से वंचित रह जाते हैं। फसल डूब जाती है। इससे यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। बाढ़ के पानी से होने वाले जनधन की हानि रोकने एवं क्षेत्र के बहियारो से जल निकासी के लिए, यहां के किसान कई बार जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। आंदोलन भी किए हैं। तत्कालीन विधायक अनिल चौधरी जी के द्वारा यह मुद्दा विधानसभा  तक में उठाया गया था। हसनपुर चीनी मिल प्रबंधन भी इसमें प्रयासरत रही। परंतु समस्या जस की तस पड़ी है। क्षेत्र के दर्जनाधिक चौर एवं बहियारो से कावर झील के रास्ते जल निकासी के लिए नहर परियोजना की बेहद ही जरूरत है। ताकि बाढ़ एवं जलजमाव से  होने वाली क्षति कम किया जा सके एवं यहां के किसान खुशहाल हो सके।

कहते हैं अधिकारी : हसनपुर चीनी मिल के कार्यपालक पदाधिकारी आर के तिवारी, महाप्रबंधक शंभू सिंह, महाप्रबंधक गन्ना सुग्रीव पाठक, उप महाप्रबंधक गन्ना अमित कुमार ने दर्जनों किसानों के साथ छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के जलप्लावित गन्ना फसल का निरीक्षण किया। निरीक्षण उपरांत कार्यपालक पदाधिकारी ने जिला पदाधिकारी बेगूसराय को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि विगत कई वर्षों से 30000 एकड़ से ज्यादा जमीन जलप्लावित है। पिछले वर्ष 75 लाख क्विंटल गन्ना के बदले मात्र 48 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हो सकी। गन्ना चीनी मिल को प्राप्त नहीं हो रही है। किसान एवं चीनी मिल कष्ट में है । कार्यपालक पदाधिकारी ने पत्र में लिखा है कि पूर्व में भी जिलाधिकारी महोदय के कार्यालय को चीनी मिल एवं किसान द्वारा आवेदन दिया गया था।आज कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब किसान मिल प्रबंधन के पास जमा है। त्राहिमाम पत्र का संज्ञान ले जल्द से जल्द नहर निर्माण की स्वीकृति दे 30 एकड़ जमीन को उपजाऊ और चीनी मिल पर बचाने की कृपा करें।

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