महिला समूह ऋण देने वाले प्राइवेट बैंक के माध्यम से की गई है ठगी, लगभग दो करोड़ की ठगी।

विनोद शर्मा की रिपोर्ट।
 छौड़ाही (बेगूसराय) : भोली भाली ग्रामीण महिलाओं के नाम से फर्जी कागजात जमा कर 200 महिलाओं के नाम से प्रति महिला 4 से 5 समूह लोन निकाल कर शातिर ठग फरार हो गया है। ऋण देने वाले विभिन्न निजी क्षेत्र के बैंक के माध्यम से उक्त धोखाधड़ी की गई है। बैंक अधिकारी द्वारा ऋण वसूली के लिए घर पहुंचने के बाद मामले का खुलासा हुआ है। ठगी की रकम 2 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है। ठगी की शिकार सभी महिलाएं छौड़ाही ओपी क्षेत्र के सावंत पंचायत की निवासी हैं। ग्रामीण महिलाओं ने इस धोखाधड़ी एवं ठगी के विरुद्ध छौड़ाही ओपी में नामजद प्राथमिकी दर्ज करवा दी है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। समूह ऋण देने वाले भी बैंक अधिकारी भी संदेह के दायरे में आ गए हैं।

यह है मामला : छौड़ाही ओपी क्षेत्र के सावंत पंचायत के मटिहानी,खराज,धुनिया टोल एवं बखड्डा गांव निवासी स्वर्णलता देवी, शहनाज खातून, रीता देवी, रेखा देवी, चांदनी देवी, ललिता देवी, शोभा देवी, प्रेमलता देवी ,संजू देवी, मुन्नी देवी समेत 200 से ज्यादा महिलाओं ने छौड़ाही ओपी में दर्ज कराए गए प्राथमिकी में कहा है कि छौराही ओपी क्षेत्र के बखड्डा निवासी आरोपित मोहम्मद मसूदआलम, मोहम्मद मंंसूर आलम एवं मोहम्मद छोटू उर्फ कपड़ा दुकानदार सावंत पंचायत में महिलाओं का समूह बनाकर उत्कर्ष बैंक, फीन केरी, इंडेक्स बैंक आदि समूह ऋण देने वाले बैंक के माध्यम से 200 से ज्यादा महिलाओं को एक एक ऋण दिलवाया था। लगभग सभी महिलाओं ने उक्त ऋण चुकता कर दिया है कुछ महिला के पास एक या दो किस्त बाकी है।

पिछले महीने से आरोपित जनगणना कर महिलाओं को और ज्यादा ऋण दिलवाने की बात कह कागजात पर हस्ताक्षर एवं अंगूठे का निशान करवा रहा था। वही मोबाइल फोन पर भी हम महिलाओं के बदले खुद ही बैंक अधिकारी से बात करता था एवं ओटीपी भी शेयर करता था। फिर बुधवार 22 जून 22 को तीनों आरोपित गांव से गायब हो गए। गुरुवार 23 जून 22 को समूह ऋण देने वाले बैंक के कर्मचारी जब गांव आकर हम महिलाओं के नाम पर किसी महिला के नाम से तीन तो किसी महिलाओं के नाम से पांच ऋण होने की बात कह बुधवारी किस्त जल्द से जल्द जमा करने का दबाव देने लगे तो हम सभी महिलाएं अचंभित रह गई। हम लोगों ने दूसरा ऋण लिया ही नहीं था।

समूह ऋण देने वाले भी संदेह के दायरे में : समूह ऋण त्वरित समय में मिल जाता है ।लेकिन प्रक्रिया बहुत ही पारदर्शी है। सबसे पहले 3 या 5 महिलाओं का एक समूह बनाना पड़ता है। जिसकी साप्ताहिक बैठक आयोजित होती है। प्रत्येक बैठक में ब्रांच के अधिकारी आते हैं और मोबाइल से भी संपर्क में रहते हैं। बैंक अकाउंट समूह के महिलाओं का होता है उसी में ऋण की राशि ट्रांसफर की जाती है। राशि ट्रांसफर से पहले कम से कम 3 बार बैंक अधिकारी समूह की बैठक में आते हैं एवं महिलाओं को भी बैंक जाना पड़ता है। अब सवाल उठता है कि 200 के लगभग महिलाओं को ऋण दिलाने वाला बिजोलिया कईसे राशि ट्रांसफर करवा निकासी करवा सकता है।

महिलाओं ने दर्ज प्राथमिकी में कहा है कि जब हम लोग बैंक ब्रांच गए नहीं, बैठक हुई नहीं तो एक एक महिला के नाम पर पांच पांच ऋण कैसे स्वीकृत हो गया। इसमें समूह ऋण देने वाले बैंक के कर्मी जिस बैंक में महिलाओं का खाता ट्रांसफर होकर गया एवं राशि निकासी भी ठग ने कर ली उस शाखा के बैंक प्रबंधक भी इस धोखाधड़ी के मामले में संदेह के घेरे में हैं।

परेशान हैं महिलाएं : दर्ज प्राथमिकी में महिलाओं ने कहा है कि एक तो हम लोगों ने ऋण लिया ही नहीं है। ऊपर से समूह ऋण देने वाले निजी बैंक के अधिकारी हम महिलाओं के घर पर पहुंचकर किस्त देने का दबाव देते हैं। बेज्जती भी करते हैं। एक दो महिला गड़बड़ी कर सकती है । 200 महिलाएं कैसे गड़बड़ी कर सकते हैं। ज्यादातर महिलाएं एक किस्त भी देने में सक्षम नहीं है। सब मिलाकर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई है। इसलिए बहुत ज्यादा दबाव एवं परेशान में हैं ।महिलाओं ने ओपी अध्यक्ष से जल्द से जल्द कार्रवाई कर मानसिक परेशानी से छुटकारा दिलवाने अन्यथा महिलाओं के साथ अनहोनी हो जाने की बात कही है।

कहते हैं ओपी अध्यक्ष : इस संदर्भ में छौड़ाही ओपी अध्यक्ष राघवेंद्र कुमार का कहना है कि बहुत सी महिलाओं ने समूह ऋण के नाम पर धोखाधड़ी करने के संबंध में आवेदन दिया है। आरोपितों को नामजद भी किया गया है। पुलिस मामले की गहन छानबीन कर रही है।

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