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यूरिया खाद मूल्य से अधिक दामो में लेने को मजबूर हैं किसान।

राजकमल कुमार की रिपोर्ट।
खगड़िया बाजार में यूरिया रहने के बावजूद भी किसान को अधिक कीमतों में यूरिया लेने से मजबूर होना पड़ रहा है। कारण यह है कि किसान खेत को पटवन कर दिया जब तक उक्त खेत में यूरिया नहीं दिया जाएगा तो मकई के पौधे में वृद्धि नहीं होगी। वही किसान कृषि दुकान पर सुबह से लेकर शाम तक लाइन में खड़ा रहने के बावजूद भी यूरिया नहीं मिलता है तो खाद्य दुकानदारों को भद्दी भद्दी गाली गलौज का प्रयोग करते हुए बैरंग वापस लौट जाते हैं। बताते चलें कि बेलदौर बाजार में करीब 8 खाद्द दुकानदार है। जबकि पांच खाद्द दुकानदारों के बीच यूरिया आया। लेकिन खाद्द दुकानदार अधिक कीमतों में यूरिया दे रहे हैं। वही किसान रहियामा गांव के छगुरी चौधरी, उदय साह, राहुल शर्मा, अशोक तांती, सुरेश शर्मा समेत दर्जनों किसानों ने बताया कि क्षेत्र बुवाई से लेकर रोपाई करने तक में करीब 15 हजार से अधिक रुपया खर्च होता है। जब मकई का पौधा डिब्भी देने लगता है तो तब से किसानों को खेत में यूरिया देने की जरूरत हो जाती है।

जब यूरिया का जरूरत किसान को पढ़ा तो बाजार से यूरिया खत्म हो गया। किसान बेचारा क्या करेंगे विभिन्न विभिन्न जिलों से अधिक कीमतों में किसान यूरिया लाकर अपने खेतों में दे रहे हैं। जब मकई तैयार हो जाएगा तो किसान को औने पौने दाम में मकई बेच कर अपने महाजन को रुपया देने की चिंता सताने लगता है। जबकि खगरिया जिला में बेलदौर प्रखंड क्षेत्र मकई उपजाऊ करने में एक नंबर पर है, और एशिया महादेश में खगड़िया जिला मकई उप जाने में आगे रहते हैं।

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