चेतन कुमार सिंह की रिपोर्ट।
बिहार के लिए बेहद महत्वपूर्ण दो रेल परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण में देरी से वर्षों से लंबित हैं। एक बड़ी आबादी को दो दशक से रेल सेवा की टकटकी लगी है। 161 किमी लंबी हाजीपुर-सुगौली नई रेल लाइन का निर्माण लंबे अरसे से सुस्त है। परियोजना लंबित पड़ने से मुजफ्फरपुर जिले के सरैया, पारू व साहेबगंज प्रखंड में ट्रेन का सपना अधूरा है।
वित्त वर्ष 2003- 04 में उक्त परियोजना का स्वीकृत किया गया था। उस समय परियोजना पर खर्च के लिए 528 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ। निर्माण कार्य में देरी से परियोजना का बजट बढ़कर अब 2088 करोड़ रुपये हो गया है। परियोजना स्वीकृत होने के 18 साल के बीत चुके है। इस दौरान 161 किमी के बदले महज 26 किमी की दूरी में ट्रेन परिचालन संभव हो सका।हाजीपुर और वैशाली के बीच दो साल से ट्रेन चल रही है। वैशाली के आगे पड़ने वाले सरैया, पारू व साहेबगंज आदि इलाकों में भूमि संबंधित अड़चनों को दूर नहीं किया जा सका है। इसके कारण तीन प्रखंडों के करीब दस लाख से अधिक लोगों को ट्रेन से यात्रा करने के लिए 40 से 60 किमी दूर स्थित मुजफ्फरपुर शहर का रुख करना पड़ता है। पारू के ग्रामीण अशोक साह बताते हैं कि स्टेशन व रेल मार्ग के लिए जगह तय है। लेकिन, अभी तक रेल लाइन नहीं बिछ सकी है। जमीन से जुड़ी अड़चने दूर नहीं होने से परियोजना पर लागत चारगुना बढ़ी गई।