मधेपुरा: जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर जिला परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र, सदर अस्पताल परिसर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिले के सिविल सर्जन डॉ अमरेन्द्र नारायण शाही ने की। पाथ एवं निपी संस्था के राज्यस्तरीय प्रशिक्षक प्रशांत कुमार एवम् गौरव कुमार ने प्रशिक्षण देने का कार्य किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी प्रखंडों के चिकित्सा पदाधिकारीयों एवम् जिले के निजी स्वास्थ्य संस्थान के चिकित्सकों ने भी भाग लिया। मौके पर ए.सी.एम्.ओ. डाॅ ए सलाम, सदर अस्पताल के डी. एस. डॉ डी. पी. गुप्ता एवम् केयर इंडिया के डीटीएल मो तौकीर हसन एवम् अन्य कर्मी भी उपस्थित रहे।
जिले के सिविल सर्जन डॉ अमरेन्द्र नारायण शाही ने बताया कि बताया कि जिले में मातृ एवम् शिशु मृत्यु की सर्विलांस एवम् रिपोर्टिंग दोनों को मजबूत करने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि एस. आर. एस डाटा 2016-18 के अनुसार बिहार में हर 2 घंटे पर एक माता की मृत्यु अर्थात प्रत्येक दिन 13 माताओं की मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार बिहार में प्रत्येक साल 4600 माताओं की मौत हो जाती है। इस मृत्यु दर को कम करने का लक्ष्य रखा गया है । इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग बहुत ही गंभीर है एवम् इसे कम करने को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों को संबल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
पाथ संस्था के राज्यस्तरीय प्रशिक्षक प्रशांत कुमार द्वारा मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों के बारे में प्रतिभागियों को बताया गया। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला को उनके परिवार या रिश्तेदार द्वारा बच्चे के जन्म को लेकर समय पर निर्णय नहीं लेना या अस्पताल के जाने में विलंब कर देना तथा जागरूकता की कमी होना मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। साथ ही घर से अस्पताल दूर होने के कारण समय से एम्बुलेंस या अन्य वाहन की सुविधा नहीं होने तथा प्रसव पूर्व तैयारी सुनिश्चित नहीं करना भी मातृ मृत्यु को न्योता देने का काम करती है। प्रशांत कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान पूरे नौ माह तक समय समय पर सरकारी अस्पताल में ए एन सी चेकअप करवाते रहने से लेकर माताओं को पोषणयुक्त खाना तथा समय से डिलिवरी कराना महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि मातृ मृत्यु दर में हर साल 2 फीसदी कमी लाना है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम जैसे सुमन, जननी सुरक्षा योजना, प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, ए एन सी आदि चलाए जा रहे हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि इन कार्यक्रमों के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक कर उन तक इसका लाभ पहुंचाना अति महत्वपूर्ण है एवम् यह स्वास्थ्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों की नैतिक जिम्मेवारी भी है। लाभुकों को यह बताना महत्वपूर्ण है कि गर्भवती महिलाओं के लिए सारी सुविधाएं सरकारी अस्पताल में निःशुल्क हैं। मातृ मृत्यु में कमी लाने से संबंधित अन्य आयामों के बारे में भी राज्यस्तरीय प्रशिक्षक के द्वारा बताया गया।
निपी के राज्यस्तरीय प्रशिक्षक गौरव कुमार ने प्रशिक्षण में भाग ले रहे स्वास्थ्य पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों को बताया कि शिशु मृत्यु की सर्विलासं और रिपोर्टिंग को मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को जन जन तक पहुंचाए जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि नवजात एवम् शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग के दौरान विशेष रूप से इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है कि नवजात/ शिशु की मौत किस कारण से हुई है। मौत के अधिकतर मामले किस प्रकार के हैं, इसकी समीक्षा कर मृत्यु में कमी लाने को लेकर उस पर क्या कार्य करने की जरूरत है।
प्रशिक्षण में शिशु मृत्यु से संबंधित आंकड़ों को सही तरीके से संधारित कर एचएमआईएस पोर्टल पर इसकी प्रविष्टि करना आवश्यक है। प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि स्वास्थ्य संस्थानों में एनबीसीसी, एसएनसीयू, एनआरसी, बर्थ एक्सपेक्सिया, कंगारू मदर केयर, पीएनसी जैसी सेवाओं को सुदृढ करने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षण में बताया गया कि मातृ मृत्यु एवम् शिशु मृत्यु का प्रतिवेदन सही रूप से हो इसके लिए जिला एवं प्रखंड स्तर पर कमिटी बनायी गयी है। कमिटी की बैठक प्रत्येक माह अनिवार्य रूप से आयोजित की जानी है। इससे रिपोर्टिंग और सर्विलासं को बेहतर बनाया जा सकेगा। मातृ मृत्यु की रिपोर्टिंग के लिए 6 तरीके के फार्मेट पर पॉवर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। मातृ एवं शिशु मृत्यु की सूचना देने वाली आशा को प्रोत्साहन राशि के प्रावधान पर भी प्रतिभागियों को विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम के अंत में सिविल सर्जन डॉ अमरेन्द्र नारायण शाही ने बताया कि यह प्रशिक्षण सभी प्रखंड के ए. एन. एम्. आशा एवम् अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी दिया जाना है।