बक्सर जिला एक बार फिर मानवता से हुआ शर्मसार जहा स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था का काला सच बक्सर के केसठ प्रखण्ड प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से आ रही हैं। बताया जा रहा है कि केसठ प्रखंड के ही रहने वाले उमेश कुमार सिंह उम्र तकरीबन 50 वर्ष को अचानक सीने में दर्द होने लगा जिसके बाद उन्हें अस्पताल में लाया गया।
मिली जानकारी के अनुसार वह हार्ट के बीमारी से पीड़ित थे. सोमवार की देर रात्रि उनके सीने में अचानक तेज दर्द उठने लगा जिसके बाद उनकी पत्नी इंदू देवी और घर के अन्य सदस्यों के द्वारा उन्हें केसठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया. जहाँ चिकित्सा केंद्र पर स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाह रवैया खुलकर सामने आई. अस्पताल के ओपीडी में मौजूद चिकित्सक धर्मदेव सिंह अस्पताल परिसर में ही मौजूद थे. लेकिन, शायद वह सो रहे थे और स्वास्थ्य कर्मी भी चिकित्सक के सुस्त रवैया के कारण अपनी दायित्व के निर्वहन में मुस्तैद नहीं थे और अस्पताल का मुख्य गेट बन्द था. मरीज के परिजनों ने घंटों गेट को खुलवाने का प्रयास किया दरवाजे पर डंडे से पीटकर स्वास्थ्य कर्मियों को जगाने की कोशिश भी की गई. लेकिन, काफी देर तक हंगामा के बावजूद भी अस्पताल का मेन गेट नहीं खुला तथा गेट बंद होने के कारण गेट के सामने ही इलाज के अभाव में पीड़ित व्यक्ति तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.
घटना की सूचना के बाद ग्रामीण उग्र हो कर बड़ी संख्या में अस्पताल परिसर में पहुँच गए और जमकर बवाल काटे. आक्रोशित परिजन व ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक फरार हो गए.
बता दें कि यह घटना सोमवार की देर रात की हैं. बताया जा रहा है कि देर रात तबियत खराब होने पर उमेश कुमार सिंह को परिजनों ने स्वास्थ्य केन्द्र लाया. जहाँ उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज मिल पाना तो दूर अस्पताल परिसर में प्रवेश कर पाना भी दुर्लभ हो गया. क्योकि, अस्पताल में तैनात कर्मी और चिकित्सक मुख्य गेट बन्द कर सो रहे थे और मरीज के परिजन बाहर बंद गेट को खुलवाने का प्रयास कर रहे थे घंटो प्रयास के बावजूद भी प्राथमिक स्वास्थ केंद्र का दरवाजा नहीं खुल सका और मरीज ने आखिरकार तड़प तड़प कर दम तोड़ दी.