बथौल गांव के अधूरे नाले के गंदगी से उठ रही तिव्र दुर्गंध। दर्जनों लोगों को हुआ डायरिया। एक हजार से ज्यादा आबादी है प्रभावित।

बलवंत चौधरी(सबकी खबर आठों पहर न्यूज रूम)

(बेगूसराय) : मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना पार्ट वन में वर्ष 2018 में स्वीकृत नाली गली योजना के अधूरा पर रहने से छौड़ाही प्रखंड के बथौल गांव के दलित बस्ती में सैकड़ों लोगों का जीना मुहाल हो गया है। स्थिति यह है कि सिर्फ खाना बनाने के लिए लोग घर में आते हैं। अन्यथा दुर्गंध और बीमारी से बचने के लिए सड़क किनारे बैठ कर समय काटने को सैकड़ों परिवार मजबूर हैं। अब स्थिति और गंभीर हो गई है। विगत एक सप्ताह में दर्जनों बच्चे डायरिया के चपेट में गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस स्थिति में जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी इनकी नहीं सुन रहा है। खास बात यह कि इस गांव में सिर्फ पासवान समुदाय की हीं आबादी है।

चार वर्ष में भी नहीं बन सकी नाली : मालपुर पंचायत के वार्ड नंबर 10 बतौर गांव के रामपुकार पासवान, महेश पासवान, साधुशरण पासवान, नंदकुमार पासवान, गौतम पासवान, रामकुमार पासवान आदि ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 2018 में बथौल चौक के निकट उत्तम पासवान के घर से महेश पासवान का घर होते हुए सूचित पासवान के घर तक नाली एवं गली बनाने की योजना स्वीकृत हुई। योजना लेकिन कपितय कारणों से 100 मीटर नाला निर्माण कर ममता देवी,अमरीकी देवी, प्रमिला देवी के घर के सामने नाला को खुला छोड़ कर निर्माण करने वाले अभी तक गायब हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नाला निर्माण के नाम पर आठ लाख रुपए निकाल लिए गए हैं।

लेकिन अभी तक नाला नहीं बना है। का कहना है कि घर से सूचित पासवान के घर तक के बीच में उनका निजी जमीन है। वह अपनी ज़मीन नाला बनाने के लिए देने को तैयार हैं। लेकिन पैसा गबन करने के उद्देश्य देखिए गंदगी बिमारी युक्त अधूरे नाले को यहीं तक बनाकर खुला छोड़ दिया गया है। ग्रामीणों का एक स्वर में कहना था कि नाला बनाने वाले संवेदक कहते हैं कि लोग जमीन नहीं दे रहे हैं। देखिए हम तो जमीन देने के लिए तैयार हैं।

चार वर्ष से योजना पेंडिंग है अगर, गतिरोध था तो अब तक बीडीओ या डीएम के पास संवेदक ने लिखित शिकायत क्यों नहीं किया।
 फैली बिमारी दर्जनों अक्रांत : इस मोहल्ले के सौरभ, रोशन, मोहन, खुशबू, कृतिका, अर्णव, मकसूदन, बाल
कृष्ण, गायत्री, ममता समेत दर्जनों बच्चे विगत एक सप्ताह से डायरिया से पीड़ित हो इलाजरत हैं। बच्चों के अभिभावकों ललिता देवी, मंजुला देवी, अमृति देवी, गीता देवी, ममता देवी, शांति देवी अपने घर के सामने नाला का खुला मुंह दिखाते हुए बोलीं देखिए, नाले में कितना कीड़ा मकोड़ा है। बारिश होने पर यह गंदगी बाहर नहीं जा उन लोगों के घरों में आ जाता है। स्थिति यह है कि नाले से उठ रहे दुर्गंध एवं फैल रहे बीमारी के कारण सिर्फ खाना बनाने के लिए घर आते हैं। बच्चों में डायरिया एवं गंदगी जनित बीमारियां फैल गई है। बड़े बुजुर्ग भी इसके चपेट में आ रहे हैं। पंचायत से प्रखंड तक कई बार शिकायत की है। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अब हम लोगों के स्वास्थ्य एवं जान पर बन आया है। ग्रामीणों ने कहा कि डीएम साहब इस पर संज्ञान लें और जिला स्तरीय जांच दल से जांच करवा हम दलितों को जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति दिलाने की कृपा करें।

कहते हैं संवेदक : नाली गली निर्माण करा रहे संवेदक विद्यानंद ने बताया कि सहमति पत्र पर कुछ लोगों ने हस्ताक्षर नहीं किया। इसलिए निर्माण अधूरा रह गया है। उन्होंने बताया कि विगत चार वर्ष में लिखित रूप से कहीं भी नाला निर्माण में गतिरोध की शिकायत नहीं कर सके हैं।

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