बारिश ने किसानों का कमरतोड़ रखा है। वही किसान अपने मकई को धूप निकलने के बाद सुखाने के लिए अपने दरवाजे पर फैला देते हैं। लेकिन इंद्र भगवान बारिश देने से रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिस कारण प्रखंड क्षेत्र के किसानों को मकई तैयारी करने में काफी परेशानी का सामना भुगतना पड़ रहा है। वही किसान जब अपने मकई को तैयार कर बेचने की तैयारी में रहते हैं तो महाजन के द्वारा 13:30 सौ से लेकर 14 सो रुपया मकई महाजन ले रहे हैं, किसानों का कमर टूट चुका है। जबकि एक बीघा खेत में मकई लगाने के दौरान करीब 18 हजार से लेकर 20 हजार खर्च होती है। जब किसान अपने मकई के फसल को बेचने के समय में बारिश का सामना करना पड़ता है। जिस कारण किसानों का कमर टूट चुका है। यदि इस तरह का बारिश रुक रुक कर हुआ तो जो किसान मकई को तैयारी करने में लगे हैं उनका फसल बारिश होने से बर्बाद हो सकता है। निचले इलाके में पानी पानी हो चुका है। ग्रामीणों को आवाजाही करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि इस तरह का बारिश प्रत्येक दिन होते रहा तो बाढ़ का संभावना बन सकती है। वैसे तो बारिश होने से कोसी नदी में पानी उफान है जो बाढ आने से कोई नहीं रोक सकता। वहीं बाजार में पानी पानी हो चुका है, राहगीरों को आवाजाही करने में काफी परेशानी का सामना भुगतना पड़ रहा है।
वही बेलदौर पंचायत के कुछ वार्ड में बारिश का पानी जमा होने से बदबू दे रहा है, जो महामारी का आमंत्रण दे रहे हैं। वही इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि बेलदौर पंचायत के कुछ वार्ड में बारिश का पानी जमा हो चुका है, जो सरकर बदबू दे रहा है। यदि इस तरह की बारिश होते रहेगा तो बाढ़ आने से कोई नहीं रोक सकता है।