एक तरफ जहां कोरोना महामारी से लोग बेहाल है। दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने की जगह धीरे धीरे बढ़ते जा रहा है। मालूम हो कि महामारी ने पहले ही लोगों की जेब पर बड़ा असर डाला है, अब ऐसे में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें जेब पर और डोज बढ़ रही है। इसी कड़ी में बेलदौर बाजार के दो पेट्रोल पंप पर करीब 99 रूपया 65 पैसा पेट्रोल की कीमत हो चुकी है। वही डीजल की कीमत 92 रूपए 63 पैसा हो जाने से ग्रामीणों में केंद्र सरकार के विरुद्ध आक्रोश व्याप्त है। इन के बढ़ते दामों को लेकर ग्रामीणों के बीच घमासान मचा हुआ है। वही पेट्रोल की कीमत शतक लगाने की और है, सिर्फ मात्र 35 पैसे यदि बढ़ा तों शतक लगा सकता है। वही पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी से आम लोगों की नाराजगी सरकार के प्रति बढ़ती जा रही है। वही ग्रामीणों को महंगाई को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं। सरकार के द्वारा पेट्रोल डीजल के दाम में बढ़ोतरी तो हो रही है। लेकिन किसान गोवर के भाव में अपना मकई को बेच रहे हैं, सरकार को यह सोचना चाहिए कि भारत देश किसान प्रधान देश है। लेकिन किसान को सही कीमत नहीं मिलने के कारण वह रो रहे हैं।
किसानों की माने तो जब खेत पटवन का समय था तो उस वक्त करीब 80 रूपए से अधिक दाम में डीजल मिल रहा था, जब किसान अपनी फसल को बेचने के लिए तैयार किया तो सरकार के द्वारा मात्र किसान को 12 सौ से अधिक 13 सौ रुपए में मकई बिक रहा है। किसान का सिर्फ पूंजी निकल रहा है, लेकिन मजदूरी नहीं।