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मनुष्य कैसे सुखी हो सकता हैं और मनुष्य के दुःख का कारण क्या हैं ,संत असंग देव जी महाराज।

राजकमल कुमार / खगड़िया ।

बेलदौर गांधी इंटर विद्यालय के मैदान में मंगलवार को अंतिम दिन सत्संग में संत असंग देव जी महाराज ने कहा कि मनुष्य कैसे सुखी हो सकता है और मनुष्य के दुख के कारण क्या है।वही श्री संत असंग देव जी महाराज ने कहा मनुष्य कैसे सुखी हो सकता है, मनुष्य इतना बुद्धिमान प्राणी होकर भी परेशान रहता है, उस मनुष्य को सुख शांति कैसे मिलेगी। वही मनुष्य का जीवन कैसे सार्थक होगा और परिवार में सुख शांति कैसे आती है। वही मनुष्य कैसे उन्नति कर सकता है। इसका विस्तृत चर्चा करते हुए कहा उग्या सो अन्तबे, फूल्या सो कुम्लाहीजो चनिया सो दही पड़े,, जो आया सो जाहि,, वही कहा संसार का यही नियम है जो उदय व अस्त भी होगा, जो विकसित होगा वह मुरझा जायेगा जो चुना गया वह गिर पड़ेगा जो आया वह जाएगा कबीर साहब के दोहे रचनाकर संसार के प्राणियों की भांति संसार में कुछ नियम है। जिसे दूर करने का भी प्रयास किया गया।

वही मनुष्य इस माया रुपी जाल में इस कदर फस गया चाहे लाख छुटकारा पाना चाहे निकल नहीं पाता,यदि मनुष्य सचेत नहीं होगा तो अपने कर्मों को बारे में जान नहीं पाया । मनुष्य दो प्रकार से अपने जीवन में गतिशील होकर सुख और शांति का अनुभव नहीं करेगा तो मनुष्य जीवन में स्थाई नहीं हो पाएगा। वही सुख और शांति की मनुष्य जीवन में आती रहती है। यह दोनों तभी प्राप्त हो सकेगी कि मनुष्य अपने मन को काबू कर पाएगा। मनुष्य को निरोग रहना चाहिए, किसी किसी से उधार नहीं लेना चाहिए अपने देश से बाहर ना रहना, अच्छे लोगों के साथ मेल होना ,अपने जीवन यापन के लिए किसी पर आत्मनिर्भर नहीं रहना और निडर होकर रहना चाहिए। इस लोक पर मनुष्य को तीन  से सूत्र मैं बांधा गया  है। यदि मनुष्य स्वस्थ रहता है उनके जीवन में सबसे बड़ा वरदान होता है जो मनुष्य किसी बीमारी से घिरा रहता है उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि वह ठीक-ठाक से कोई किसी भी काम को नहीं कर पाता है, ऐसे मनुष्य के शरीर के साथ-साथ तनधन का भी नुकसान उठाना पड़ता है। कहा जाता है कि बीमारियों से बचे रहना, सबसे बड़ा सुख है, मनुष्य को हमेशा अपनी आमदनी के खर्च करना चाहिए, वही मनुष्य हमेशा अपने आमदनी के अनुसार ही मनुष्य को पैर पसारना चाहिए। आय से अधिक खर्च कर लेते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरों से भी उधार ले लेते हैं, दूसरों से लिया गया उधार कभी सुख नहीं देता है। दूसरों से कर्ज ले गए कभी सुख नहीं देता, उसके बाद भी कई लोग लिया हुआ कर्ज चुका नहीं पाते और अपने साथ-साथ पूरे परिवार को कर्ज में डुबो देते हैं। वही विदुर नीति में कहा गया जो व्यक्ति कर्ज से बचा रहा था और सुखी जीवन व्यतीत करता है अपने देशों में रहना आप सभी लोग जानते होंगे कि अपने दोनों को छोड़कर प्रदेश कमाने के लिए जाते हैं और वही रहने लग जाते हैं सब करने का कारण चाहे जो भी हो लेकिन अपने परिवार में रहने से जो सुख मिलता है। वह कहीं और नहीं मिल सकता अच्छे लोगों के बीच रहना संत कबीर ने कहा विद्वान से दोस्ती से अच्छा संस्कार मिलता है और बूरे लोगों से संगत करने से बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है। वही किसी पर आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए, पुराने हर तरह से दूसरों पर निर्भर न रहकर अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए खुद से कम आने लगे एवं दूसरों से निर्भर रहना छोड़ दे। ऐसे लोगों का सम्मान नहीं दूसरों की नजर में सम्मान मिलता है कहा जाता है कि आपके साथ कोई बुरा करें उसके साथ अच्छा करें अब बिना किसी भय से अपना जीवन जीता है वह सबसे सुखी माना जाता है। मनुष्य को ज्ञान और शक्ति और अभाव में तीन दुख मिलते हैं। तीनों कारणों से जिस सीमा तक आप अपने दूर करने में समर्थ होंगे मनुष्य उतना ही सुखी बन सकेगा।

वही अज्ञान के कारण मनुष्य दूषित हो जाता है और उल्टे काम करने लगता है और दुखी बन जाता है स्वार्थ लोग अहंकार और उदारता और क्रोध की भावना मनुष्य को कर्तव्य मुक्त करती है और दूरदर्शिता को छोड़कर क्षणिक छोटी बातें करने लगता है। वही मनुष्य को अज्ञान से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सत्संग होने से पूरे प्रखंड क्षेत्र के सत्संगियों की भीड़ उम्र पड़ी थी। मालूम हो कि सत्संग होने से पहले आयोजक कर्ता बेलदौर मुखिया कुमारी बेबी रानी, मुखिया प्रतिनिधि संजय शर्मा समेत उनके सही योगियों के द्वारा फूल माला से सम्मानित किया गया। वहीं उक्त सत्संग में चल रहे भंडारा बेलदौर पंचायत के खर्रा वासा निवासी बुद्धन राम शिक्षक के द्वारा किया जा रहा था।

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