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कुम्हारों की जिंदगी बद से बदतर ।

राजा कुमार :-
समस्तीपुर:दीपावली को लेकर देश भर में भले ही उत्साह देखा जा रहा है लेकिन समस्तीपुर के रोसड़ा ,
हसनपुर में कुम्हारों की माली हालत में सुधार होता नज़र नही आ रहा है,आज भी मिट्टी के बने शानदार दीयों का कोई कद्र नही है,कुम्हारों के इस पुश्तैनी पेशे पर एक बार फिर से ग्रहण लगता दिखाई देने लगा है।

 

देश भर में चाइनीज सामानों का समय भले ही दफन हो रहा है,लेकिन आज भी कुम्हारों की सूरत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है,हाथ से बने मनमोहक दीयों की बिक्री उम्मीदों पर ऐसा कहर ढाया कि लोगों का आकर्षण ही मिट्टी के दीयों से सिमट रहा है,समस्तीपुर में कुम्हारों का तकरीबन दर्जनों परिवार इस पुश्तैनी पेशे से आज भी जुड़ा हुआ है,लेकिन घटती आमद और परिस्थितियों ने कुम्हारों का चेहरा ही मुरझा कर रख दिया है।

समस्तीपुर के रोसड़ा में दम तोड़ती हस्त कला और कुम्हारों की माली हालत पर सुशासन की सरकार को भी तरस नहीं आयी।आज तक इन कुम्हारों का जीवन स्तर महफूज मुकाम तक पहुंचाने की कोई कवायद नहीं की गई।सरकारी नुमाइंदे और जन प्रतिनिधियों की घोर लापरवाही ने भी कुम्हारों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया।

दीपोत्सव के इस महोत्सव पर लोगों का जीवन रौशन करने वाले कुम्हारों की जिंदगी में भी खुशहाली नज़र नही आती दिख रही है

 

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