किसान को फसल क्षतिपूर्ति में सरकार द्वारा दी जा रही सहायता राशि मे भी पदाधिकारी को चाहिए कमीशन, कमींशन नहीं तो नही मिलेगा सहायता राशि।, जाने पूरी माजरा।

राजकमल कुमार / रिपोर्टर।

बेलदौर प्रखंड क्षेत्र में किसानों से मिलने वाले फसल क्षतिपूर्ति एवं बाढ़ पीड़ित किसानों के डूबे हुए घरों के पैसे बिहार सरकार के द्वारा दिया जा रहा है। वही पंचायत से लेकर प्रखंड तक पैसे उगाही का जरिया बन गया है।

मालूम हो कि किसानों के जीआर सूची के लिए आवेदन देने के लिए किसान अपने  पंचायत क्षेत्र के वार्ड सदस्य को देने के लिए जाते हैं तो किसानों से एक हजार रुपए वसूला जाता है, और किसानों के सूची में नाम आने के बाद पांच सौं की मांग और करता है।

उक्त  मामला प्रखंड क्षेत्र के इतमादी पंचायत एवं प्रखंड क्षेत्र के सोलह पंचायत में यह मामला खुलेआम हो रहा है। बताया जाता है कि जीआर सूची मैं आवेदन देने से पहले किसानों से एक हजार रुपैया प्रति व्यक्ति लिया जाता है कि पंद्रह सौ रुपया लगेगा तभी आपका छःहजार आपके खाते में आएगा।

इस गोरखधंधे में वार्ड सदस्य, मुखिया, किसान सलाहकार से लेकर ब्लाक के नाजिर तक उक्त मामले में शामिल है। वहीं इतमादी पंचायत के वार्ड नंबर 2 के किसान बिजली देवी, रंजीत शर्मा, बीरबल शर्मा, लखन शर्मा, रमेश शर्मा, मुकेश शर्मा, विमला देवी, 20 सूत्री अध्यक्ष विजय सिंह ने बताया कि इस गोरखधंधे में शामिल लोगों पर जब तक अंकुश नहीं  लगाया जाएगा तो किसानों से दोहन शोषण करता रहेगा।

वहीं बिहार सरकार  के द्वारा  रिश्वतखोरो  को सजा-ए-मौत मिलती तो बिहार में  रिश्वतखोरी का नामोनिशान नहीं मिलता। इस रिश्वतखोरी में अधिकारी से लेकर पदाधिकारी तक शामिल है, जब तक पदाधिकारी भी इस रिश्वतखोरी में अपने सन लिप्ता बनाए रखेंगे तब तक किसानों से शोषण होता रहेगा।

जो किसान वार्ड सदस्य  या पदाधिकारी को एक हजार नहीं देंगे तो उनके आवेदन को कुरे दानी में फेंक दिया जाता है,हाय रे सुशासन बाबू। वही दूसरी तरफ किसान कोरोना महामारी, गोबर के भाव में मकई बिकना, बाढ़ के चपेट में धान चौपट हो गया और लॉक डॉउन किसानों को कमर तोड़ दिया। बिचोलिया तब पर भी उक्त बात को ताक पर रखकर किसान के साथ दोहन शोषण जारी बनाए रखे हैं।

 

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