बाढ़ में हुए धान की फसल की क्षति होने से मुखिया प्रतिनिधि के दरवाजे पर बैठक की गई।
मौके पर किसान तारिणी सिंह, महेंद्र प्रसाद सिंह, सालों सिंह, कांग्रेश सिंह, वासुदेव सिंह, विजय शर्मा, ब्राह्मी शर्मा, सतीश सिंह, योगेंद्र शर्मा, अरुण सिंह, सदानंद शर्मा, राजेंद्र शर्मा समेत दर्जनों किसान मौजूद थे। किसान तारिणी सिंह ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र के किसान का बुरा हाल है। कहते हैं डूबता बिहार, मरता किसान, यह कहावत बुजुर्गों ने सच में कहां है। करीब 3 माह तक किसानों को कोरोना महामारी से जूझना पड़ा। दूसरी तरफ बाढ़ और बारिश किसानों को कमर तोड़ दिया है। किसान रो-रो कर कहते हैं कि मकई में अधिक मूल्य नहीं रहने के कारण मकई घर में रखे सर रहा है। उस मकई को माल मवेशी भी नहीं खाते हैं। मुखिया प्रतिनिधि किशोर सिंह ने बताया कि किसानों के हक के लिए मुझे जो करना पड़ेगा हम करने के लिए तैयार हैं। किसान के खेत में लगे धान की फसल को लेकर वार्ड सदस्य के द्वारा जी आर राशि के लिए सूची बनाया जा रहा है