अनिवार्य सेवानिवृति के सरकारी आदेश पर भड़के शिक्षक कर्मचारी संगठन।

के.के. शर्मा / समस्तीपुर / रिपोर्टर।
*अनिवार्य सेवानिवृति का फरमान वापस ले सरकार।
*शिक्षकों कर्मचारियों के श्रमिक हकों पर हमला नही सहेंगे।
*शिक्षकों- कर्मचारियों को धमकाना बंद करे सरकार-  गोपगुट।
समस्तीपुर :  कम से कम तीन माह पूर्व सूचना अथवा तीन माह के वेतन की समतुल्य राशि देकर 21 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने पर सेवानिवृत्ति की जा सकती है. समीक्षा में समय-समय पर न्यायालय के निर्णयों को भी संज्ञान में लिया जाएगा. जिन कर्मियों की उम्र जुलाई से दिसंबर माह में 50 वर्ष से ज्यादा होने वाली हो, उनके मामलों की समीक्षा समिति द्वारा उसी वर्ष जून माह में की जाएगी. सामान्य प्रशासन विभाग बिहार सरकार ने दिशानिर्देश जारी करते हुए राज्य के सभी विभागों के प्रधानों से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है. सरकार के इस पत्र पर शिक्षकों कर्मचारियों में तीखा आक्रोश व्याप्त है. इस मसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के  जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साहू, जिलासचिव  जयप्रकाश भगत, जिलासचिव रंजीत कुमार रमन, विकास कुमार , सुजीत ठाकुर ,उपाध्यक्ष विरदेलाल यादव, धर्मवीर कुमार, राजकुमारी,जिलाकोषाध्यक्ष पवन कुमार शर्मा मीडिया प्रभारी मो. ईमरान राज्यकार्यकारीणि सदस्य अविनाश कुमार ने संयुक्त रुप से कहा कि रेलवे, बीमा, बैंकिग, उद्योग समेत विभिन्न सरकारी उपक्रमों का निजीकरण करने में जुटी केंद्र सरकार के साथ सुर मिलाते हुए बिहार सरकार ने, पचास वर्ष उम्र पार के कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृति का जो फरमान जारी किया है वह निहायत ही आपत्तिजनक है।

सरकार श्रमिक कानूनों को कमजोर करने, सरकारी सैक्टर के जॉब्स को खत्म करने, ठेकाकरण संविदाकरण के शोषणमूलक नीतियों को आगे बढ़ाने की साजिश तेज कर रही है. अनिवार्य सेवानिवृति के संकल्पपत्र ने एनडीए सरकार का घोर कर्मचारी श्रमिक विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है. तुगलकी फरमान निकालकर श्रमिकों और कर्मचारियों के संवैधानिक, वैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सरकारी हमला नाकाबिले बर्दाश्त है. बिहार के कर्मचारी शिक्षक समेत तमाम अनुबंधकर्मी संविदाकर्मी सरकार के इस फैसले का मजबूती के साथ विरोध करेगी ।

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