आषाढ़ माह आदरा नक्षत्र की शुरुआत होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में धन रोपनी का कार्य शुरू हो गया है। खेतों में रोपनी के गीतों के साथ कजरी सुनाई पड़ने लगी है। जिन किसानों की धान की नर्सरी तैयार हो चुकी है और खेतों में पानी भर चुका है। वह किसान मेर पूजन के बाद धान की रोपाई शुरू कर चुके हैं। मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्रों में किसान पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए आदरा नक्षत्र की 3 दिन बीतने के बाद असाढ माह में खेती प्रारंभ कर देते हैं।
वर्तमान में किसान व्यवसायिक खेती करने में किसी तरह की चूक नहीं करना चाहते हैं। इसीलिए मानसून का इंतजार ना कर अपने निजी संसाधनों से पानी की व्यवस्था कर धान की रोपाई में जुट गए। इनमें अधिकतर किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार जून माह के शुरू में ही नर्सरी डाल चुके थे, लगभग 21 दिन बाद नर्सरी तैयार होते हैं। किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है। पहले रोपाई करने से किसानों को जहां आसानी से मजदूरी मिल जाते हैं। वही उपज अच्छी होने संभावना भी अधिक रहती है। खेतों में रोपाई कर रही महिलाओं द्वारा रोपाई के दौरान परम पारीक कजरी गीतों का गायन क्षेत्रों के माहौल को और अधिक मनोहरी बना देता है। खेतों में महिला अंगिका गीत खेल रहिए धूप रहिए रोपे रहिए धान मन मन विचारे रहिए जेबें बाबा धाम। प्रगतिशील किसान राजेंद्र शर्मा,छट्ठू तांती, केदार शर्मा,बवीता देवी, कविता देवी, दर्जनों किसानों ने बताया कि समय से रोक पाई होने पर पैदावार काफी अच्छी होती है। वहीं महिलाओं द्वारा धान की रोपाई के समय गीतों के गाने से गांव जवार के क्षेत्रों का माहौल संगीतमय हो जाता है।