बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि भाजपा की राजनीति कांग्रेस की बैसाखी पर ही टिकी हुई है।

ज्ञान मिश्रा / पटना
बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि भाजपा की राजनीति कांग्रेस की बैसाखी पर ही टिकी हुई है। कोरोना संकट काल में जनता की मदद करने की बजाय भाजपा के बिहार अध्यक्ष अपने अन्य नेताओं के साथ कांग्रेस को कोसने में लगे हुये हैं। भाजपा के इस नकारात्मक राजनीति से कोरोना पीडितों का भला होने वाला नहीं है।

श्री सिंह ने कहा कि जनता यह भलीभांति समझती है कि  सरकार में होकर भी भाजपा सिर्फ वाणी विलास ही कर रही है। जबकि कांग्रेस विपक्ष में रहकर भी जनता की सेवा में दिन-रात लगी हुई है। हमारे नेता राहुल गांधी सडक पर उतरकर लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के दुख-दर्द को बांट रहे हैं। हमारी अध्यक्षा सोनिया गांधी जी प्रवासी लोगों को घर तक पहुंचाने के लिये रेल किराया देने की घोषणा तक कर दी हैं। वहीं भाजपा के लोग केवल लफ्फाजी में मशगूल हैं।

श्री सिंह ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से पूछा है कि वे लोग कांग्रेस के विरोध पर अपनी राजनीति कब तक चमकाते रहेंगे। उन्होंने बीजेपी के नेताओं को जनहित में सकारात्मक राजनीति करने की सलाह दी है।
वहीं कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि भाजपा जनता को बरगलाने का काम कर रही हैं। ऐसे नाजुक समय में चुनाव जीतने की प्लानिंग कर भाजपा अपने स्वार्थ का प्रदर्शन कर रही है।  राज्य के हालात इस तरह से नहीं है कि यहां ऑनलाइन डिजिटल चुनाव की बात की जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रणाली में संशोधन करने के लिए पहले संविधान में संशोधन करना पड़ता है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी देश स्तर के किसी भी पद पर नहीं हैं। फिर उनके द्वारा इस प्रकार का बयान दिया जाना गंभीर चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री पहले भी कई ब्लॉक के कैशलेस-डिजिटल होने की बात कह चुके हैं। मगर ऐसे दावे बस फाइलों तक ही सीमित है।धरातल में अभी भी डिजिटलाइजेशन कोसों दूर है।
 ऐसी स्थिति में सुशील मोदी ऑनलाइन चुनाव प्रणाली की बात करके सिर्फ  जनता को भरमाने तथा मुख्य मुद्दों से किनारा करने की साजिश कर रहे हैं।  डिजिटलाइजेशन विकास के दौर में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। मगर यदि प्रणाली में किसी प्रकार कि दोष का गुंजाइश रह जाती है।तो वह बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। केंद्र सरकार के द्वारा की गई नोटबंदी की असफलता पूरा देश देख रहा है।भाजपा सरकार कैशलेस- कैशलेस के नारा देते देते खुद कैशप्लस- कैशप्लस होती चली गई।

 

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