बेगूसराय
रमज़ान के पवित्र महीने में बाबू खान ने एक बार फिर रक्तदान करके पवित्रता को एक नये आयाम तक पहुंचाया है और सह-अस्तित्त्वता को एक नई मिसाल दी हैं।
रक्तदान करना सबसे मानवीय कर्मों में से एक है, क्योंकि रक्त दान का मतलब रक्त- दाता के लिए सिर्फ़ कुछ मिनट हो सकता है, लेकिन किसी और के लिए ये समूचा जीवन हैं।
श्री नारायण चौधरी ग्राम,मुजफ्फरा डीह पंचायत वार्ड नंबर 10 के निवासी हैं।
रक्तचाप( शुगर) अत्यधिक बढ़ जाने के कारण डॉ रूपक कुमार बेगूसराय में एडमिट हैं।
अंत में बाबू ख़ान ने इस अवसर पर
हम रमज़ान में समूची मानवता के यश और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं, उनके लिए दुआएं मांगते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि मदद के लिए उठे हाथ ,दुआओं के लिए उठे हाथ से ज़्यादा क़ीमती हैं-रोज़े की भूख और प्यास हमें दूसरों से जोड़ने एक बेहतरीन पुल है, हम अपने भूख प्यास के ज़रिए, दूसरों की भूख प्यास और दूसरी ज़रूरतों के समझते हैं, चाहे रोटी हो या रक्त हमें देने की तरफ़ बढ़ना चाहिए-उन्हें ने अपनी शेर के साथ समाप्त की,.
अब तो महज़ब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
मेरे दुख दर्द का तुझपे हो असर कुछ ऐसा,
मैं रह़ू भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए!