संतोष राज( सबकी खबर)
मां शब्द सुनते ही आँख भर आती हैं।
ओ दिन आज भी याद हैं। जब मैं बचनपन अवस्था में था मैं जब जमीन पर गिर जाता था। और रोने लगता था मेरे रोने की अवाज सुन मां सारे काम काज छोर दौरी चली आती थी, और मुझे अपने बाहों में उठा कर चुप कराने में लग जाती थी।
मां भूखे पेट राह कर भी अपने बच्चे को ख्याल रखती हैं।मां हर दुःख दर्द को सह कर भी मेरी जरूरत पूरा करती थी।
आज भी बच्चे के ऊपर किसी भी तरह का संकट आ जाए तो मां पहले चिंतित हो जाती हैं। इसलिए मां महान है ।
मैं उस मां का कर्जदार हूं जिन्होंने 9 माह अपने गर्व में रखकर पाल मैं उस मां का कर्जदार हूँ जिन्होंने मुझे इस धरती की मिट्टी से रुबहु करवाया मैं उस मां का कर्जदार हूँ जिन्होंने मुझे दुनिया का सारा खुशी मेरे झोली में डाला।
इस लिए हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार के दिन मां के लिए रिजर्व रखा हूँ।
आज पूरे देश मदर्स डे मना रहे हैं।
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