ज्ञान मिश्रा की रिपोर्ट।
भाजपा के जिला प्रबक्ता राजन तिवारी ने एक प्रेस बिज्ञापति जारी कर के बताया की 21 दिन के लॉक डाउन के बाद हम सब सोच रहे थे की सभी केस पकड़ मे आ जाएंगे और उन इलाकों को क्वॉरेंटाइन करके पूरे देश को हम खोल देंगे। लेकिन एक खास गुट के लोगों की मूर्खता की सजा इस देश मे कानून मानने वाले हर हिंदू, मुसलमान ,ईसाई और सिख को भुगतना पड़ेगा।
मैं समझने में असमर्थ हूं कि अगर किसी से गलती हो गई है तो अपनी गलती मान कर सभी लोगों से यह कहने में कि बाहर आओ और सरकारी अस्पताल में जांच कराओ, इसमें बुराई क्या है ।
लेकिन देश में अजीब स्थिति हो चुकी है। जो लोग पहलू खान की हत्या जो बहुत ही निंदनीय थी ,उसके लिए आंसू बहा रहे थे उनके लिए छोटन निषाद की हत्या पर बोलने की भी जरूरत महसूस नहीं होती है।
जब देवबंद से लेकर बरेलवी तक की सभी संस्थाओं ने कह दिया कि अपने घर मैं रहें ,तो लॉक डाउन विरोध के नाम पर अपने इलाकों में दंगा भड़काने का काम कर रहे लोगों का समाज क्यों नहीं विरोध कर रहा है।
हम सभी को समझना होगा कि यह मामला मंदिर मस्जिद का नहीं है। चाहे कोई भी धर्म हो ,अभी जो भी उसके नाम पर कहीं इकट्ठा हो रहा है वह देश विरोधी काम कर रहा है ।
लेकिन गलती मानने के बजाय गल थेथरई रही हो रही है। जब हमने आसाराम और राम रहीम जैसे बाबाओं का विरोध किया है और उसी निष्ठा से तबलीगी जमात के भी तथाकथित मौलाना का विरोध करना उचित समझता हूं।
इस देश में जितनी भी मुफ्त की चीजें आज भारत सरकार दे रही है वह इस देश के मेहनतकश करदाताओं के द्वारा दिए गए पैसे से बांटा जा रहा है। पर आज तक मैंने एक भी करदाता को नियम का उल्लंघन करते नहीं देखा। ना किसी करदाता ने यह पूछा कि हमारे पैसे का दुरुपयोग उन पर क्यों हो रहा है जो डॉक्टरों पर थूक रहे हैं और पुलिस को पीट रहे हैं।
आज कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।
दक्षिण राज्य के सांसद पूछते थे कि हमने जनसंख्या नियंत्रित कर दिया तो इसके लिए केंद्र सरकार हमें सजा के तौर पर कम पैसे क्यों दे रही है । उन्हें हमेशा समझाया गया कि लोगों की मूर्खता पर मानवीय आधार से भी सोचो । पर आज केंद्र सरकार को फैसला करना चाहिए कि जो भी परिवार दो बच्चे से ज्यादा पैदा करता है उसकी जिम्मेवारी वह खुद निभाए, ना कि सरकार ।
दूसरा हर हालत में हमें डब्ल्यूटीओ को ताक पर रखकर केवल देसी उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। मैं आर्थिक मामले का बहुत जानकार तो नहीं हूं पर मैंने एक आम नागरिक के रूप में यह देखा है कि किस तरह केवल 3 से 4% सस्ता होने के कारण हमारा कर्नाटका एंटीबायोटिक, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक ,आईडीपीएल और अन्य एपीआई बनाने वाली कंपनियों की दुर्दशा हो गई ।
भारत की दवा कंपनियां चाइना से केवल 4% सस्ता होने के चलते सारा सामान मंगाना शुरू कर दिया । दुनिया की आज भी 50% दवाओं की पैकेजिंग हमारे यहां होती है पर उसका मूल सामान चाइना से आता है।
कड़े फैसले हर फील्ड में लेना पड़ेगा । आज भी दुनिया के सबसे उन्नत देश का है जहां कोई भी डॉक्टर 10 से ज्यादा मरीज किसी भी हालत में नहीं देखता है।
हमारे यहां हर सरकारी अस्पताल मे यह हालत है। अगर आम दिनों की तरह एक भी करोना पीड़ित मरीज हमारे सरकारी अस्पताल खुलने के बाद पहुंच गया तो शायद भगवान भी हमारा मालिक नहीं है क्योंकि उन्होंने 21 दिन पूर्व लॉक डाउन की सद्बुद्धि देकर हमारे यहां बीमारी फैलने से रोकने में पूरा प्रयास किया था
आज देश में 4000 मरीज हैं फिर भी आधा दर्जन अस्पताल बंद हो चुके हैं क्योंकि डॉक्टरों को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है। अगर अन्य अस्पतालों की भी हालत ऐसी हो गई तब भविष्य क्या होगा आप सोच सकते हैं।
कुछ लोगों की बेवकूफी के कारण देश के 133 करोड़ लोगों की कुर्बानी व्यर्थ हो रही है।