कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एकाएक लॉक डाउन का सहारा लिया गया ऐसे में बिहार से बाहर कमाने गए मजदूरों की हालत अत्यंत दयनीय हो गई यहां तक कि कुछ दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री भी उनकी सुधि लेने को तैयार नहीं थे कितनी ही गरीब तबके के लोग वापस अपने घरों को पैदल ही चल दिए इस विकट परिस्थिति में जब लोग कई जगह भूख से तड़प रहे थे ऐसे में गरीबों के मसीहा और जन अधिकार पार्टी के संरक्षक पप्पू यादव ने दिल्ली के गलियों गलियों में जाकर लोगों की सुधि ली और उन्हें तत्काल सहायता किया इससे पहले भी पटना में आए भयंकर बाढ़ में उन्होंने लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया था कोरोना त्रासदी आएगी और चली भी जाएगी परंतु बिहार के बाहर जाकर काम करने वाले कामगारों को जब जब इस लोक डाउन की याद आएगी तो बिहार से बाहर जाकर कमाने के बारे में सोचने से भी डरने लगेंगे इस विषम परिस्थिति से तो किसी प्रकार हम निकल ही जाएंगे परंतु बाद में बिहार सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि हमारे राज्य के गरीब मजदूर अपने ही राज्य में रोजी-रोटी का जुगाड़ कर सकें भले ही मधेपुरा की जनता ने पप्पू यादव को अपना संसद नहीं बनाया परंतु आज भी अगर किसी बिहार के नेता के जेहन में गरीबों के प्रति संवेदना है तो वह पप्पू यादव हैं कोरोना वायरस संकट के इस आपातकाल में एक सैलूट बिहार के नेता पप्पू यादव के लिए भी बनता है।
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