उड़ीसा में फंसे छौड़ाही के मजदूरों ने लगाई मदद की गुहार। बाल बच्चों के साथ हैं दो दिन से भूखे, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेज कर रहे मदद की अपील।

बलवंत कुमार चौधरी (बेगूसराय)

उड़ीसा में फसे छौड़ाही के बकारी गांव की तस्वीर।

(बेगूसराय) : जेब में एक भी पैसा नहीं है, दो दिन से भूखे हैं। हमारे पत्नी और बच्चे भी भूखे हैं। खाने की व्यवस्था हेतु रूम से बाहर निकलने पर पुलिस भोजन देने के बदले डंडे से पीट रही है। इस परिस्थिति में हम क्या करें कुछ सूझ नहीं रहा है। यह वीडियो संदेश छौड़ाही प्रखंड के सिहमा पंचायत के बकारी निवासी रोहित कुमार सहनी, सागर सहनी, रामकुमार, रेणु देवी ने रिकॉर्ड कर भेजा है। रोहित बताने हैं कि बकारी गांव के 40 से ज्यादा लोग उड़ीसा के कटक शहर के वार्ड नंबर 24 में दिल्ली भवन के ठीक सामने की गली में रहते हैं। इनमें से कोई ठेला रिक्शा चलाता है तो, कोई बेलदारी का काम। इन लोगों का कहना है कि 21 तारीख से हम लोग का काम धंधा बंद हो गया। घरों में रहने को कहा गया जिसका हम लोग पालन कर रहे हैं। अब हम लोग के जेब का सारा पैसा खर्च हो चुका है। दो दिन से खाना नहीं खाए हैं। गहना जेवर लेकर जब बाहर खाना लेने जाते हैं तो पुलिस डंडे से पीट कर भगा देती है। यहां के अधिकारी से लेकर बिहार के अधिकारी तक को कई बार फोन कर चुके हैं। लेकिन, आश्वासन मिला भोजन नहीं। यही स्थिति रही तो भूख से मरने की नौबत आ जाएगी। भूखे बच्चों को देखकर भी अधिकारियों को तरस नहीं आ रही है। इन लोगों का कहना है कि हम लोग को या तो घर भेज दिया जाए या यहीं पर कम से कम भोजन की व्यवस्था हो तो, हम लोग छह महीना भी यहीं रह सकते हैं। भूखे प्यासे बच्चों एवं उनके माता-पिता द्वारा हाथ जोड़कर की जा रही विनती सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है। इन लोगों की मदद की भी अपील उड़ीसा एवं बिहार सरकार के अधिकारियों से कर रहे हैं।
सिहमा पंचायत के मुखिया पवन कुमार साह ने बताया कि 500 से ज्यादा बार फोन वहां से आ चुका है। उड़ीसा एवं बिहार सरकार के कई अधिकारियों को कहा गया है लेकिन मदद नहीं मिल पाया है। मुखिया ने जल्द से जल्द भोजन की व्यवस्था करवाने की मांग बिहार सरकार के अधिकारियों से की है।

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